Political News: बैतूल की राजनीति में डिप्टी कलेक्टर की एंट्री से बदल जाएंगे सारे समीकरण
बड़ा सवाल: आमला विधानसभा सीट से कहीं भाजपा नया चेहरा ना उतार दे, कांग्रेस के दावेदारों की फौज क्या घर बैठ जाएगी ?
Today Betul News:बैतूल। एक प्रशासनिक अधिकारी जब भी राजनीति में उतारता है तो जनता का समर्थन उसे बड़ी ताकत दे देता है। परिणाम चाहे जो भी हों लेकिन उसकी मौजूदगी राजनीति के मठाधीशों की कुर्सी को हिला जरूर देती है। इसका प्रत्यक्ष गवाह बैतूल जिले की जनता है, जिसने एक कलेक्टर के मैदान में उतरने पर राजनीति की दिशा और दशा को बदल डाला था। बरसों पहले का महेश नीलकंठ बुच का इतिहास एक बार फिर दोहराए जाने के आसार बैतूल जिले में बन रहे हैं।
इस बार निशाने पर वह आमला विधानसभा की सीट है जो लंबे समय से बीजेपी के कब्जे में है और पिछले चुनाव में एकमात्र इसी आमला सीट ने बीजेपी की लाज बचाई थी। यहां से आने वाले विधानसभा चुनाव में एक डिप्टी कलेक्टर राजनीति में एंट्री करने की बिसात बिछाने में जुटी हुई हैं।
बैतूल जिले में अपनी पद स्थापना के दौरान सामाजिक और आम जन से जुड़ाव उन्हें राजनीति की जमीन तैयार करने में मदद दे रहा है। आगे क्या परिस्थिति निर्मित होती है यह तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन उनके मंसूबे जग जाहिर होने से कइयों की नींद जरूर उड़ गई है।
डाक्टर साहब का क्या होगा:
बैतूल जिले से एकमात्र बीजेपी विधायक का तमगा हासिल करने वाले डाक्टर साहब का टिकट कटेगा या पार्टी उन पर ही भरोसा कर नए आयातित चेहरे को पार्टी में एंट्री ही नही देगी ? यह सवाल जिले में सबसे बड़ी राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
अस्पताल का संचालन करने वाले डाक्टर साहब को अचानक बीजेपी की टिकट दे दी गई और वे जीत भी गए। एक मात्र बीजेपी के विधायक होने से वे सत्ता का केंद्र बनते चले गए। पर अनुभव और स्वार्थ सिद्धी वाली किचन केबिनेट की सलाह ने उनकी छबि को तेजी से धूमिल कर डाला। हालत यह हो गई कि वे अलग थलग पड़ गए और इसी बीच डिप्टी कलेक्टर की आमद की आवाज सुनाई देने लगी है। तमाम दौड़ भाग और विकास के कार्यों को कराने में पसीना बहा रहे डाक्टर साहब और उनके समर्थक इसी चिंता में हैं कि कहीं नए चेहरे को पार्टी में एंट्री मिली तो टिकट कटने में भी वक्त नही लगेगा। इसका क्या तोड़ हो सकता है इसके लिए बहुतेरे प्रयास हो रहे हैं। अब इन प्रयासों से धूमिल छबि कितनी उजली होगी यह तो मानसून के विदा लेने पर ही सामने आएगा।
क्या कांग्रेसी घर बैठ जाएंगे :
आमला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को लगातार पराजय का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी चुनाव मैदान में उतरने के लिए टिकट मांगने वालों की लंबी कतार लग रही है। वर्तमान में भी दर्जन भर दावेदार टिकट का जुगाड़ करने के लिए नेताओं के दरवाजे पर दस्तक देते दिखाई दे रहे हैं। इन सबके अरमानों पर एक नए चेहरे की एंट्री से पानी फिर सकता है।
डिप्टी कलेक्टर की राजनीति में किस पार्टी से एंट्री होने वाली है यह अभी उजागर नही हुआ है। यदि बीजेपी के डाक्टर साहब की सुनी गई और एंट्री नही दी गई तो दूसरा विकल्प कांग्रेस ही है। टिकट के लिए हो रहे घमासान के बीच एक डिप्टी कलेक्टर द्वारा शासकीय सेवा त्याग कर चुनाव मैदान में उतरने से मिलने वाले जन समर्थन को कांग्रेस किसी बूटी के रूप में उपयोग कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो क्या कांग्रेस के दावेदार घर बैठ जाएंगे ?? या पार्टी को जीत दिलाने के लिए मैदान में उतर जाएंगे?यह सवाल भी लोगों के मन में तैर रहा है।
कुल मिलाकर एक प्रशासनिक अफसर के नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखने का लाभ बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों को पांचों सीटों पर मिलने का आंकलन राजनीतिक विशेषज्ञ कर रहे हैं। आगे क्या परिस्थिति निर्मित होगी यह कहना अभी जल्दबाजी होगी , लेकिन सरकारी सेवा से त्याग पत्र देकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी करने का मन बनाने वालों को अभी से ही मैनेजमेंट करने वालों को सबको साधने की नीति पर काम करने की सलाह देनी होगी। आयोजन का आभार जताने के लिए मैनेजमेंट करने वालों ने जिन चंद को उपकृत किया है वे भी संतुष्ट नहीं हुए और जिन्हें छोड़ दिया गया वे समय आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि अपनी ताकत का अहसास उन बाहरी लोगों को कराया जा सके जो उन्हें कमजोर समझ बैठे हैं।।