Today Betul News : सापना जलाशय की नहरों की लाइनिंग का कार्य प्रारंभ, कच्ची नहर से मिलेगी मुक्ति
Today Betul News : Lining of canals of Sapna reservoir started, will get freedom from raw canal
Today Betul News : बैतूल। जिले में मध्यम सिंचाई योजना के सबसे पुराने सापना जलाशय की कच्ची नहरों को सीमेंट-कांक्रीट से पक्का करने के लिए ठेका कंपनी द्वारा कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। सापना जलाशय के पास से डी-2 नहर की लाइनिंग करने का कार्य शुरू किया गया है। जल संसाधन विभाग के द्वारा सापना जलाशय की 52 किमी लंबी नहरों में से करीब 38 किमी की नहरों का सीमेंटीकरण करने के लिए 8 करोड़ 27 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। नहरों के पक्का हो जाने से करीब तीन एमसीएम पानी की बर्बादी बंद हो जाएगी और इस पानी का उपयोग किसानों को तीसरी फसल मूंग के लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा आने वाले वर्षाें में दिया जा सकेगा।
जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता स्तरीय निविदा समिति के द्वारा सापना मध्यम परियोजना विस्तार नवीनकरण, आधुनिकीकरण अन्तर्गत नहर लाईनिंग का कार्य, रिसेक्सनिंग पक्के कार्यों सहित की वित्तीय निविदा में न्यूनतम निविदाकार मेसर्स श्री राम कंस्ट्रक्शन कम्पनी ग्वालियर की निविदा जो मार्च 2021 में संशोधित यूएसआर 2017 पर प्राक्कलित राशि रुपये 827.99 लाख से 2.11 (दो दशमलव एक एक) प्रतिशत कम (8,10,52,358,11) है की स्वीकृति प्रदान की गई है। अनुबंध के पूर्व ठेका राशि की पांच प्रतिशत परफार्मेंस सिक्योरिटी निविदाकार से जमा कराने के बाद अब अनुबंध कर कार्य भी प्रारंभ करा दिया गया है।
जानें कौन सी नहरें पक्की होंगी:
इस कार्य में सापना जलाशय की 12 किमी लंबी डी-1 नहर को पूरी तरह से सीमेंटीकृत किया जाना है। नहरों का लेवल बनाने के साथ ही कुलाबे, गेट, पुलों की भी मरम्मत करना है। डी-2 नहर का आठ किमी लंबाई का मुख्य भाग और मुख्य नहर का 660 मीटर का हिस्सा सीमेंटीकृत किया जाएगा। मुख्य नहरों से निकलने वाली माइनर नहरों में भी ऊपरी हिस्से में एक से तीन किमी का क्षेत्र सीमेंटीकृत करने के साथ ही गेट, कुलाबे लगाए जाएंगे।
1956 में बना था सापना जलाशय:
बैतूल ब्लाक के ग्राम सोहागपुर के समीप सापना नदी पर 66 साल पहले वर्ष 1956 में सापना जलाशय का निर्माण किया गया था। 505.505 एमसीएफटी जल संग्रहण क्षमता के सापना जलाशय से कुल 52 किमी लंबाई की कच्ची नहरें डी-वन और डी- टू बनाई गईं थीं। सापना से सोहागपुर होते हुए जैतापुर, आरूल, रतनपुर तक आठ किमी लंबाई की नहर है। इसके अलावा सापना से बैतूलबाजार होते हुए भरकावाड़ी भोगीतेढ़ा तक 12 किमी लंबाई की डी-वन नहर है। इसी नहर से वन सी बनाई गई है, जो बडोरा क्षेत्र के खेतों तक पानी पहुंचाती है। सापना जलाशय की नहरों से पलेवा और दो बार सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। जलाशय के पूरा भरा न होने पर एक सिंचाई के लिए ही पानी मिलता है। तीन बार पानी दिए जाने में करीब 55 दिन नहर चलाई जाती है और इस दौरान कच्ची नहरों से 50 से 80 एमसीएफटी पानी बर्बाद हो जाता है। इतने पानी को यदि बचा लिया जाता है तो सापना जलाशय के कमांड क्षेत्र में गर्मी की तीसरी फसल के लिए एक पानी अतिरिक्त मिल सकेगा।
बढ़ेगा कृषि का रकबाः
सापना जलाशय की क्षमता 3800 हेक्टेयर की होने के बावजूद भी लगभग 3200 हेक्टेयर में ही सिंचाई हो पाती है। नहरों के सीमेंटीकृत हो जाने से असिंचित रहने वाला 600 हेक्टेयर का रकबा भी सिंचित होने लगेगा और किसानों को समय पर सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। इसके साथ ही बैतूल नगर में पेयजल के लिए पानी आरक्षित करने में भी किसानों को कोई आपत्ति नहीं होगी। वर्तमान में किसानों की फसलों की सिंचाई के लिए मौजूद पानी में से ही पेयजल के लिए रिजर्व किया जाता है।
लंबे समय से की जा रही थी मांगः
सापना जलाशय की नहरों को सीमेंटीकृत करने के लिए सोहागपुर, जैतापुर, परसोड़ी, सापना, मिलानपुर, बैतूलबाजार, आरूल, सिंगनवाड़ी, भरकावाड़ी, बडोरा, भोगीतेढ़ा समेत अन्य गांवों के किसानों द्वारा कई वर्ष से शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की जा रही थी। पूर्व विधायक हेमंत खंडेलवाल, कांग्रेस विधायक निलय डागा, पूर्व पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे से भी किसानों के द्वारा मांग की गई थी। सभी के समन्वित प्रयायों से सापना मध्यम सिंचाई परियोजना के सुद्रढ़ीकरण एवं लाइनिंग कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति मिली और अब कार्य प्रारंभ भी हो गया है।