sugercane harvesting: कमाल की मशीन: गन्ना की महीनों में होने वाली कटाई कर देती है कुछ घंटे में
बैतूल जिले के गन्ना उत्पादक किसानों को मिल रही मशीन से बड़ी राहत
बैतूल। (Sugercane Harvesting) गन्ना की फसल ऐसी है जिसे 12 महीने तक तैयार करने में किसान को जितनी मेहनत नही लगती है, उससे कहीं अधिक गन्ना को काटकर गुड़ बनाने या फिर शक्कर बनाने के शुगर मिल पहुंचाने में लगती है। ऐसे वक्त में मजदूरों की कमी से गन्ना की कटाई करने के लिए हैरान परेशान होने वाले किसानों के लिए sugercane Harvester किसी सौगात से कम नहीं है। कई महीनों का काम कुछ घंटे में पूरा कर देने वाली इस कमाल की मशीन ने बैतूल जिले के गन्ना उत्पादक किसानों की सारी चिंता दूर कर दी हैं।
कमाल की मशीन। चुटकियों में काटती है गन्ना pic.twitter.com/ZRST7nAwoH
— live daily khabar (@livedailykhabar) February 28, 2023
गन्ना भारत में एक प्रमुख फसल है, जिसके के लिए देश भर में कई किसान साल भर मेहनत करते है। लेकिन किसानों के लिए मेहनत तब और बढ़ जाती है जब कटाई का समय आता है कई बार उन्हें इस काम के लिए अच्छे मजदूर भी नहीं मिलते है और मिलते भी हैं तो इस काम बहुत समय जाता है। लेकिन अब कई किसान ऐसे है जिन्होंने मशीन का उपयोग कर अपना काम आसान बना लिया है।
यह मशीन है सुगरकेन हार्वेस्टर एक ऐसी मशीन है जिसमें गन्ना छोटे छोटे हिस्से में कट कर infilder ( छोटी कवर्ड ट्रॉली) में जमा हो जाता है। इससे बड़े ट्राले में भर दिया जाता है और फिर शुगर मिल तक।पहुंचाया जाता है।
मजदूरों की कमी में छोटे गन्ना किसानों की संख्या दिन व दिन घटती जा रही है। सबसे बड़ा कारण समय पर मजदूरों का नहीं मिलना है। मिल से परमिट मिलने के बाद गन्ना किसान मजदूर खोजते हैं, जिसके बाद गन्ना की कटाई, छिलाई, लदाई के साथ उसे तय समय में मिल पहुंचना होता है। कई बार ऐसा होता है कि किसान घर के सदस्यों के साथ गन्ने की कटाई करने को मजबूर होते हैं। इन्हीं कारणों से इस मशीन की मांग बढ़ रही है, इस वर्ष भी बैतूल जिले में महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश से आने वाले मजदूरों की कमी रही। स्थानीय मजदूरों की मदद से किसानों द्वारा गन्ना की कटाई की जा रही है। जिन किसानों को मजदूर नही मिल पा रहे हैं वे हार्वेस्टर की मदद से खेत में लगी गन्ना की फसल काटकर मिल पहुंचा रहे हैं।
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जानें कैसे काम करता है हार्वेस्टर:
173 एचपी और 174 एचपी के हार्वेस्टर जबरदस्त ताक़त के साथ खेत में पहुंचते हैं। गन्ने की एक कतार में हार्वेस्टर के नीचे लगी ब्लेड जमीन की सतह से गन्ने की कटाई करती हैं। यहां से कटकर गन्ना हार्वेस्टर में बने छोटे टैंक में जमा होता है। टैंक से कन्वेयर बेल्ट के सहारे गन्ना हार्वेस्टर के बगल से चल रहे infilder में गिरता रहता है। infilder में करीब चार टन गन्ना जमा होने की क्षमता होती है। एक infilder भरने के बाद उसकी जगह पर दूसरा पहुंचाया जाता है। यहां से चार टन गन्ना भरा infilder खेत के बाहर खड़े कंटेनर तक ले जाया जाता है और वहां पर हाइड्रोलिक सिस्टम से गन्ना कंटेनर में खाली कर दिया जाता है। एक कंटेनर में 12 से 14 टन तक गन्ना भरकर मिल पहुंचा दिया जाता है। एक हार्वेस्टर के साथ करीब 10 कंटेनर, दो से तीन infilder रखे जाते हैं। आधुनिक तकनीकों से लैस हार्वेस्टर जमीन के स्तर से गन्ने को काटने जैसी कार्यक्षमता रखते हैं।
अभी जहां 10 से 15 मजदूरों का समूह एक दिन में 10-15 टन गन्ने की कटाई कर सकता है, वही मशीन के जरिए एक घंटे में 15 टन तक गन्ना काटा जाता है। हार्वेस्टर के ड्राइवर के लिए चैंबर में एसी लगा होता है। जिससे वह लगातार 10 घंटे तक मशीन चला पाता है।
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किसानों ने बदली बुवाई की पद्धति:
गन्ना कटाई के लिए मशीन harvester ka उपयोग करने के लिए किसानों ने गन्ना की बुवाई करने की पद्धति में खासा बदलाव किया है। आमतौर पर गन्ने की एक कतार से दूसरी के बीच की दूरी ढाई फीट रखी जाती थी। मशीन से कटाई के लिए गन्ने की बुवाई एक कतार से दूसरी के बीच चार से पांच फीट की दूरी पर करना होता है। इससे पैदावार तो बढ़ती ही है और मजदूर न होने पर मशीन से कटाई में कोई दिक्कत भी नही होती है।