Surya Grahan 2023 : 10 दिन बाद आएगा इस साल का पहला सूर्यग्रहण, जानिए क्या बदलाव होंगे
The first solar eclipse of this year will come after 10 days, know what will be the changes
बैतूल। सूर्य ग्रहण एक ऐसी घटना है, जिसमें चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। जब चन्द्रमा सूर्य को अवरुद्ध करता है और पृथ्वी पर छाया डालता है, तो सूर्य का दिखाई देना बंद हो जाता है और इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। माना जाता है कि इस दौरान सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा विशेष तरीके से एक साथ आती है। इसी वजह से सभी के जीवन पर ग्रहण का कुछ ना कुछ असर अवश्य पड़ता है।
ज्योतिष में सूर्य ग्रहण के मायने
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को राहु और केतु से जोड़ कर देखा जाता है। इन दोनों को छाया ग्रह कहा जाता है। जन्म कुंडली में वे हमेशा विपरीत रूप से प्रभावित करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, पूरे ब्रह्मांड को प्रकाश देनेवाले सूर्य और चंद्रमा की आभा को राहु और केतु ही कम करते हैं या उनके प्रकाश को पूरी तरह से समाप्त करते हैं। इस वजह से ज्योतिष में ग्रहण को विपरीत प्रभाव देनेवाला माना जाता है।
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सूर्य ग्रहण 2023: कब और किस समय पर है
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023, गुरुवार को लग रहा है। यह ग्रहण वैशाख अमावस्या में गुरुवार सुबह 07 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक होगा। पूर्ण ग्रहण की अवधि भारतीय समय के अनुसार लगभग 05 घंटे 24 मिनट है।
क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण?
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लग रहा है। यह ग्रहण अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण हिंद महासागर, इंडोनेशिया और फिलीपींस में दिखाई देगा। इस साल इसकी भारत में दृश्यता नहीं होने के कारण यहां सूतक काल लागू नहीं होगा।
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आपके लिए जानना जरूरी है ग्रहण से क्या होंगे बदलाव?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण काल में हमारे आसपास की हर चीज प्रभावित हो जाती है। ग्रहों की ऊर्जा में होने वाला बदलाव, मानव शरीर को भी प्रभावित करता है। वैसे सूर्य ग्रहण के भारत में दिखाई न देने के कारण हमारे जीवन में कोई इसके कारण कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। हालांकि यह एक खगोलीय घटना है इसलिए इसका प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलेगा और आमतौर पर यह राशियों के लिए अनुकूल रहेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ विशेष उपाय भी कर सकते हैं, जैसे- दान, ध्यान, धार्मिक गायन और कीर्तन, मंत्र-जप, तीर्थयात्रा, और पवित्र नदियों में स्नान करना।