Dying Without Treatment : सीएम चलवा रहे एयर एंबुलेंस, बैतूल जिले में अस्पताल में न डाक्टर मिल रहे न एंबुलेंस,बिना उपचार के हो रही मौत
बैतूल जिले के भीमपुर विकासखंड में हेल्थ सिस्टम कोलैप्स हुआ, बालक का शव रखकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन
Dying Without Treatment :बैतूल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डा मोहन यादव एयर एंबुलेंस चलवा रहे हैं ताकि गंभीर मरीज को बड़े अस्पताल पहुंचाया जा सके लेकिन बैतूल जिले में में गंभीर मरीज को एंबुलेंस और डाक्टर तक नहीं मिल पा रहे हैं। मौजूदा सिस्टम ही काेलैप्स हो रहा है पर इस पर किसी का ध्यान तक नही है। बैतूल जिले के आदिवासी बहुल विकासखंड भीमपुर में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को न तो अस्पताल में डाक्टर मिल पा रहे हैं और न ही जिला अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस ही मिल रही है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि बिना बेहतर उपचार के गंभीर मरीजों को जान तक गंवाना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का प्रमाण शनिवार को भीमपुर विकासखंड के ग्राम मोहटा में देखने को मिला। गांव के रामदीन मावस्कर के आठ वर्षीय पुत्र संस्कार को सिरदर्द और बुखार की शिकायत होने पर मोहटा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। डाक्टर के न होने पर एएनएम ने प्राथमिक उपचार कर भीमपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर कर दिया। स्वजन ने 108 एंबुलेंस की मदद लेने का प्रयास किया लेकिन उसके न मिलने पर निजी साधन से भीमपुर लेकर पहुंचे। भीमपुर में उसे भर्ती कर उपचार प्रारंभ किया गया लेकिन हालत में सुधार न होने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां से भी 108 एंबुलेंस की सुविधा नही मिल पाई तो स्वजन किराए का वाहन लेकर बालक को बैतूल ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई।
उपचार और एंबुलेंस की सुविधा न मिलने के कारण ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। शनिवार सुबह ग्रामीणों ने बालक के शव के साथ मोहटा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया। ग्रामीणों ने मौके पर बीएमओ और तहसीलदार को बुलाने की मांग की। भीमपुर के तहसीलदार एच के ओंकार, बीएमओ दीपक निगवाल मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाया।
ग्रामीणों ने आक्रोश जताया तो बीएमओ ने भड़कते हुए उनके हाथ में कुछ न होने का हवाला दे दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव से भीमपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली। जब भीमपुर से रेफर किया गया तब भी उन्हें अपने साधन से जाना पड़ा। जबकि सरकार ने एंबुलेंस की व्यवस्था बनाई है लेकिन जिम्मेदार देख ही नही रहे हैं।
ग्रामीणों ने तहसीलदार और बीएमओ की गाड़ी को रोककर प्रदर्शन किया और डाक्टर की पदस्थापना करने की मांग की। ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल भवन बना दिया गया है लेकिन डाक्टर ही नहीं हैं तो फिर बीमार लोगों की मौत होना तय है। ग्रामीणों को तहसीलदार ने समझाइश देते हुए कहा कि वे इस समस्या के संबंध में उच्चाधिकारियों से चर्चा करेंगे और हर संभव प्रयास होगा कि डाक्टर की पदस्थापना हो जाए।
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इसके बाद ग्रामीणों ने अपना प्रदर्शन खत्म किया।बीएमओ दीपक निगवाल ने ग्रामीणों के सामने अपनी बेबसी बताते हुए कहा कि इतनी जनसंख्या होने के बाद भी मात्र दो-तीन एंबुलेंस हैं। हम एंबुलेंस दामजीपुरा, चूनालोहमा, मोहटा कहां पर रखें यह समझ नहीं आ रहा है।
मोहटा में पदस्थ एएनएम कविता बारपेटे ने मीडिया को बताया कि मृतक बालक का घर पीएचसी से करीब ही है। उसके बीमार होने की सूचना के बाद उन्होंने ही बालक को पीएचसी लाकर सीएचओ को जानकारी देते हुए डाक्टर से चर्चा कर इंजेक्शन लगाया और फिर रेफर किया था। उस समय एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी।