Betul News : बैतूल जिले में डाक्टर के रूप में पूजे जाते हैं  “लमटी वाले श्री हनुमान जी “

In Betul district he is worshiped as a doctor "Lamti wale Shri Hanuman ji".


Today Betul News (लोकेश वर्मा) बैतूल। पवन पुत्र हनुमान जन्मोत्सव का पावन पर्व छह अप्रैल गुरुवार को जिले भर में श्रद्घा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर जिला मुख्यालय समेत जिले भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही हैं। हनुमान जन्मोत्सव के पर्व को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है।हनुमान जी का जन्मदिन हर साल पंचाग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष चैत्र माह में 6 अप्रैल के दिन मनाया जाएगा।

हनुमान जी को भगवान शिव का 11 वां रुद्रावतार व चिरंजीवी माना जाता है। सनातन धर्म में हनुमान ही एक ऐसे भगवान हैं जिनकी पूजा कलयुग में सबसे ज्यादा की जाती है। यही कारण है कि पूरे भारत में हनुमान जी के कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिर स्थित हैं।

आपने मध्यप्रदेश के भिंड में दंदरौआ धाम के डाक्टर हनुमान दद्दा का नाम तो सुना ही होगा। डाक्टर दंदरौआ सरकार का दरबार जहां भक्तों को मिलती है सुखद लाभ की अनुभूति जहां असाध्य बीमारियों का हो जाता है छुटकारा। ऐसे ही आज हम आपको बैतूल नगर से 40 किलोमीटर दूर शाहपुर के पास आमढाना से लगा हुआ माचना नदी के किनारे स्थित डाक्टर दद्दा के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद खास है। ऐसा बताया जाता है यहाँ कोई भी भक्त पूरी आस्था और विश्वास के साथ जो मनोकामना रखता है वह पूरी हो जाती है। ये मन्दिर लमटी वाले हनुमान दद्दा के नाम से प्रसिद्ध है।

कैसी भी बीमारी हो, सब होती ठीक

लमटी वाले दद्दा की ऐसी कृपा है कि यहां आते ही बाधाएं, बीमारी ठीक हो जाती हैं। यहां के मुख्य पुजारी अजय परसाई ने बताया कि कैसा भी भक्त आ जाए लमटी वाले दद्दा की कृपा से ठीक हो कर जाता है। शनिवार, मंगलवार पांच बार आते ही लकवा वाले मरीज यहां से अपने पैरों से चल  कर वापस लौटते हैं। हनुमान जी की ऐसी शक्ति है कि कैंसर, टीबी जैसी बीमारी से भी यहां रोगी ठीक होकर जाता है। अभी तक दद्दा की कृपा से हजारों लोग ठीक हो कर घर गए हैं।

सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में घने जंगलों के बीच आध्यात्मिक शांति प्रिय 200 वर्ष पुराना प्राचीन हनुमान दादा का स्थान है। ऐसा बताया जाता है कि पुरातन काल में यहां नीम के पेड़ से टिकी हुई मूर्ति थी। घनघोर जंगल होने से शेर चीते यहां विचरण करते थे। आसपास के ग्रामवासी मंगलवार, शनिवार यहां आते थे। बाद में धीरे-धीरे आस्था बढ़ी, विश्वास बढ़ा और चबूतरे का निर्माण किया गया। फिर सन 1970 में मंदिर का निर्माण हुआ। मूर्ति स्थापना का रहस्य किसी को भी नहीं पता है।

यहां का भंवरगढ़ किले से है संबंध

मुख्य मंदिर के पीछे नकटी रानी का किला था। वर्तमान में खंडहर हो गया है। सिर्फ एक दीवार खड़ी है। ऐसा बताया जाता है कि इस किले से भंवरगढ़ के किले का संबंध था। दोनों के बीच एक सुरंग थी। जिससे राजा एवं रानी आया-जाया करती थी।

होगा सात दिवसीय पंच कुंडीय श्री राम जानकी महायज्ञ

हनुमान जी के इस सिद्ध चमत्कारी मंदिर में आगामी 24 अप्रैल से 30 अप्रैल तक सात दिवसीय श्री राम जानकी पंच कुंडीय महायज्ञ एवं श्री राम कथा का आयोजन किया जाएगा। मंदिर के पुजारी ने बताया कि महायज्ञ की तैयारियां प्रांगण में शुरू हो चुकी है विशाल यज्ञशाला का निर्माण किया जा रहा है। यज्ञ के साथ ही श्री राम कथा का वाचन विख्यात कथावाचक साध्वी रंजना दीदी के मुखारविंद से होगा। पंडित अजय परसाई ने सभी हनुमान भक्तों से सहभागी बन कथा श्रवण करने की अपील की।

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