CM NEWS : मुख्यमंत्री का एलान: सूर्यपुत्री मां ताप्ती के उद्गम स्थल पर बनेगा ताप्ती कारीडोर
CM NEWS : Chief Minister's announcement: Tapti Corridor will be built at the place of origin of Suryaputri Maa Tapti
Today CM News : बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई से निकली सूर्य पुत्री मां ताप्ती का वैभव अब और निखर जाएगा। मुख्यमंत्री ने मां ताप्ती के उद्गम स्थल पर ताप्ती कारीडोर बनाने की घाेषणा कर दी है। सोमवार को बैतूल पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मंच से घोषणा करते हुए कहा कि सूर्य पुत्री मां ताप्ती कारीडोर भी बनाया जाएगा। इसकी रूपरेखा हम तैयार करेंगे। सारणी में पावर प्लांट लगने ही वाला है।
उल्लेखनीय है कि सूर्य पुत्री मां ताप्ती के उद्गम स्थल को पवित्र नगरी घोषित करने के बाद सरकार के द्वारा ताप्ती महोत्सव का हर वर्ष आयोजन भी किया जा रहा है। लंबे समय से कारडोर बनाए जाने और सुंदरीकरण के लिए लोगों के द्वारा मांग की जाती रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा कर दी है।
धरती पर कैसे अवतरित हुईं मां ताप्ती
बैतूल जिले की मुलताई तहसील मुख्यालय के पास स्थित ताप्ती तालाब से निकलने वाली सूर्यपुत्री ताप्ती की जन्म कथा महाभारत में आदिपर्व पर उल्लेखित है। पुराणों में सूर्य भगवान की पुत्री तापी, जो ताप्ती कहलाईं, सूर्य भगवान के द्वारा उत्पन्न की गईं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान सूर्य ने स्वयं की गर्मी या ताप से अपनी रक्षा करने के लिए ताप्ती को धरती पर अवतरित किया था। भविष्य पुराण में ताप्ती महिमा के बारे में लिखा है कि सूर्य ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा/ संजना से विवाह किया था। संजना से उनकी 2 संतानें हुईं- कालिंदनी और यम। उस समय सूर्य अपने वर्तमान रूप में नहीं, वरन अंडाकार रूप में थे। संजना को सूर्य का ताप सहन नहीं हुआ, अत: वे अपने पति की परिचर्या अपनी दासी छाया को सौंपकर एक घोड़ी का रूप धारण कर मंदिर में तपस्या करने चली गईं। छाया ने संजना का रूप धारण कर काफी समय तक सूर्य की सेवा की। सूर्य से छाया को शनिचर और ताप्ती नामक 2 संतानें हुईं। इसके अलावा सूर्य की 1 और पुत्री सावित्री भी थीं। सूर्य ने अपनी पुत्री को यह आशीर्वाद दिया था कि वह विनय पर्वत से पश्चिम दिशा की ओर बहेगी।
ताप्ती में भाई-बहनों के स्नान का महत्व
पुराणों में ताप्ती के विवाह की जानकारी पढ़ने को मिलती है। वायु पुराण में लिखा गया है कि कृत युग में चन्द्र वंश में ऋष्य नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे। उनके एक सवरण को गुरु वशिष्ठ ने वेदों की शिक्षा दी। एक समय की बात है कि सवरण राजपाट का दायित्व गुरु वशिष्ठ के हाथों सौंपकर जंगल में तपस्या करने के लिए निकल गए। वैभराज जंगल में सवरण ने एक सरोवर में कुछ अप्सराओं को स्नान करते हुए देखा जिनमें से एक ताप्ती भी थीं। ताप्ती को देखकर सवरण मोहित हो गया और सवरण ने आगे चलकर ताप्ती से विवाह कर लिया। सूर्यपुत्री ताप्ती को उसके भाई शनिचर (शनिदेव) ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई-बहन यम चतुर्थी के दिन ताप्ती और यमुनाजी में स्नान करेगा, उनकी कभी भी अकाल मौत नहीं होगी। प्रतिवर्ष कार्तिक माह में सूर्यपुत्री ताप्ती के किनारे बसे धार्मिक स्थलों पर मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु नर-नारी कार्तिक अमावस्या पर स्नान करने के लिए आते हैं।