warning to go to court: पटवारी-आरआई के खिलाफ फर्जी सीमांकन के आरोप, किसान ने दी न्यायालय जाने की चेतावनी

बैतूल। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जनता की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान और राजस्व महाअभियान चलाया था, लेकिन मुलताई में राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारियों ने इस अभियान की धज्जियां उड़ा दीं। अवैध सीमांकन, शासकीय भूमि पर अतिक्रमण और किसानों को धमकाने जैसी गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। आवेदक कृषक राजेश शर्मा न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत के बावजूद अधिकारी मनमानी कर रहे हैं, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

किसान की भूमि पर अवैध सीमांकन, बैलगाड़ी रास्ते को अत्यधिक चौड़ा दिखाकर हेरफेर, और शासकीय भूमि पर अतिक्रमण जैसे गंभीर मामले सामने आए हैं। ग्राम पिपरिया में किसानों के खेतों और सार्वजनिक रास्तों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें जबरन अतिक्रमण की श्रेणी में दिखाया गया।

विवेकानंद वार्ड गांधी चौक, मुलताई निवासी कृषक राजेश शर्मा ने इस मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर की थी। मंगलवार को उन्होंने पुनः जनसुनवाई में आवेदन देकर उचित कार्यवाही करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि 12 जुलाई 2021 को ग्राम पंचायत पिपरिया के आवेदन पर सीमांकन की सूचना दी गई थी, लेकिन किसानों की गैर-मौजूदगी के बावजूद 15 जुलाई 2021 को फिर से सीमांकन किया गया। यह सीमांकन अवैध रूप से पटवारी और अतिरिक्त पटवारी उपकारसिंह चौहान द्वारा किया गया।

– 30 मीटर चौड़ा किया रास्ता, किसानों को धमकाया

राजेश शर्मा के खेत के पूर्व में स्थित बैलगाड़ी रास्ता, जिसका खसरा नंबर 93 (0.597 हेक्टेयर) और खसरा नंबर 52 (1.690 हेक्टेयर) है, इसका गलत सीमांकन किया गया। रास्ते को 30 मीटर चौड़ा दिखाकर जबरन हेरफेर किया गया, जो पूरी तरह अवैध था। जब कृषक राजेश शर्मा ने आपत्ति दर्ज करवानी चाही, तो अतिरिक्त पटवारी उपकारसिंह चौहान ने उन्हें धमकी दी कि अगर आपत्ति दायर की तो शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज करवा देंगे। डर और प्रशासनिक दबाव के कारण कृषक सीमांकन कार्य में हिस्सा नहीं ले पाए और पूरी प्रक्रिया बिना उनकी सहमति के कर दी गई, जिससे यह कार्यवाही अवैध सीमांकन की श्रेणी में आ गई।

– शासकीय भूमि पर अतिक्रमण, रास्ता किया गायब

ग्राम पिपरिया के उत्तर दिशा में स्थित ‘हगन पारा’ क्षेत्र में शासकीय भूमि और रास्तों पर अतिक्रमण कर लिया गया। यह भूमि पहले कृषक के परिवार की थी, जिसे जनहित में शासकीय कर दिया गया था, लेकिन अब इस पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। पहले यह स्थान ग्रामीणों के उपयोग के लिए था, लेकिन अब वहां कोई रास्ता नहीं बचा है। कृषक ने मांग की है कि इस भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर पुनः उनके नाम किया जाए, ताकि शासन को वित्तीय घाटे से बचाया जा सके।

– सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत के बावजूद फर्जी सीमांकन

राजेश शर्मा ने इस मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर (शिकायत क्रमांक 30046049) की थी, जिसके बाद सीमांकन दल मौके पर पहुंचा। लेकिन सीमांकन दल ने अतिक्रमणकारियों को उपस्थित नहीं रखा और बिना सही जांच के फर्जी पंचनामा तैयार कर दिया।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि सीमांकन दल ने खसरा नंबर 71 की एक ही भूजा का नाम लिखा, बाकी दो भूजाओं का नाम नहीं दिया और रकबा तक दर्ज नहीं किया। खसरा नंबर 63/1 की भी दो भूजाओं का केवल आधा नाम लिखा गया और रकबा नहीं निकाला गया।

– गवाहों के सामने हुआ फर्जी सीमांकन, जांच की मांग

इस पूरे सीमांकन के दौरान लल्लू करदाते, आशाराम, सुन्ना करदाते, प्रकाश चिकाने, अभिषेक शर्मा, सूरज प्रजापति, इंजीनियर चैल्यन पवार, नीलू पठिकर, झनक पाठकर आदि शामिल थे। लेकिन अतिक्रमणकारी मौजूद नहीं थे, फिर भी सीमांकन दल ने बिना उचित प्रक्रिया के फर्जी सीमांकन कर दिया। राजेश शर्मा ने मांग की है कि सीमांकन दल के सदस्यों के मोबाइल लोकेशन की जांच करवाई जाए, जिससे फर्जी सीमांकन की पोल खुल सके।

– न्याय नहीं मिला तो कोर्ट जाएंगे किसान

राजेश शर्मा का आरोप है इस पूरे मामले में राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमण और फर्जी सीमांकन किया गया है। ग्राम पिपरिया में आदिवासी महिला सरपंच के नाम पर अन्य लोग अवैध कार्य कर रहे हैं, जिससे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। कृषक राजेश शर्मा ने चेतावनी दी है कि अगर सीमांकन और अतिक्रमण को तुरंत रोका नहीं गया, तो वे न्यायालय की शरण लेंगे और इसके लिए पूरी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी।

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