Illigal Mining: रेत ठेकेदार के सामने नत मस्तक प्रशासन, अवैध खनन कर रही पावर मेक कंपनी

Administration bows down in front of sand contractor, power make company doing illegal mining

बैतूल। अक्सर कहा जाता है कि हाथी के दांत खाने के अलग और दिखाने के अलग होते हैं। ठीक ऐसा ही रूप प्रशासन का भी नजर आ रहा है। रेत खदानों का ठेका लेने वाली कंपनी के सामने पूरा प्रशासन ऐसे नतमस्तक हुआ है मानो दक्षिण भारत से मानसून की बारिश हो गई हो। आमतौर पर एक ट्रॉली रेत पकड़कर वाहवाही लूटने वाले प्रशासन के जिम्मेदार अवैध रूप से कंपनी द्वारा किए जा रहे खनन पर रोक क्यों नही लगा रहा है यह समझ से परे है।

जिले में रेत का ठेका लेने के बाद से ही ठेकेदार की मनमानी चरम पर पहुंचनी शुरू हो गयी थी। पहले तो रेत के दाम आसमान पर चढ़ा दिये,  कांग्रेस के विरोध के बाद रेत के दाम कुछ कम कर दिए गए। दाम कम करने के बदले में प्रशासन द्वारा ठेकेदार को खदानों से अवैध खनन करने की छूट दे दी गई है।

रेत के भंडारण का ठेका होने के बावजूद ठेकेदार नदियों का सीना धड़ल्ले से छलनी करने में लगा हुआ है। किसानों की डंगरबाड़ी नष्ट की जा रही है। जानकारी के मुताबिक रेत ठेकेदार को डंप की अनुमति मिली है। नियम ये है कि, पूर्व में जो रेत को डंप कर रखा गया था। उसी रेत की रॉयल्टी काट कर परिवहन कराई जानी है। लेकिन ठेकेदार पावर मेक कम्पनी द्वारा डंप के साथ साथ नदियों से भी रेत निकाल कर सप्लाई दी जा रही है। जबकि यह नियम विरुद्ध है। दूसरी तरफ आश्चर्य इस बात का है कि, ठेकेदार इस कदर मनमानी पर उतारू है लेकिन इसकी खबर खनिज विभाग को नहीं है।

डंप की आड़ में रेत का अवैध उत्खनन जम कर किया जा रहा है। रोजाना 100 से 150 डम्फर रेत निकाली जा रही है। और अनुमति वाली खदानों की रॉयल्टी दूसरे जिलों में कट रही है।कलेक्टर को इस मामले में से से संज्ञान लेने की जरूरत है लेकिन अभी तक मनमानी पर कोई एक्शन नहीं होने से ऐसा लग रहा है कि कहीं दाम कम करने का इनाम अवैध खनन के रूप में तो नही दे दिया गया है।

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