Importance of Water Conservation: जल संकट से बचना है तो वेटलैंड्स को बचाना होगा
विश्व आद्र भूमि दिवस पर विशेषज्ञों ने बताया जल संरक्षण का महत्व
प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस में 400 विद्यार्थियों ने सुनी विशेषज्ञों की बातें
बैतूल। आद्र भूमि यानी वेटलैंड्स के संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए जयंती हाक्सर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बैतूल में विश्व आद्र भूमि दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आयुक्त, उच्च शिक्षा, मध्य प्रदेश शासन, सतपुड़ा भवन, भोपाल के आदेश के तहत महाविद्यालय के इको क्लब के तत्वावधान में हुआ। इसमें 400 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस दौरान प्रमुख वक्ता वरिष्ठ समाजसेवी श्रीपाद निर्गुड़कर, प्रभारी प्राचार्य डॉ. अनीता सोनी, विशेष अतिथि डॉक्टर पंजाबराव सोनारे, डॉक्टर सुखदेव डोंगरे और वनस्पति विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना सोनारे ने आद्र भूमि के महत्व और उसके संरक्षण की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किए।
– आद्र भूमि की कमी से बढ़ रही जल संकट की समस्या
वरिष्ठ समाजसेवी श्रीपाद निर्गुड़कर ने कहा कि आद्र भूमि केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र है। यदि इसका संरक्षण नहीं किया गया तो जल संकट और प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में आद्र भूमि को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। विशेष अतिथि डॉक्टर पंजाबराव सोनारे ने कहा कि सीवेज वाटर का उचित प्रबंधन न होने से जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। इससे कई जलजनित बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। उन्होंने बताया कि जल को स्वच्छ बनाए रखने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
– सिर्फ 10 प्रतिशत बची आद्र भूमि, संरक्षण जरूरी
डॉक्टर सुखदेव डोंगरे ने बताया कि वर्ष 1700 में धरती पर 90 प्रतिशत आद्र भूमि थी, जो 2024 में केवल 10 प्रतिशत रह गई है। इसका संरक्षण, प्रबंधन और संवर्धन बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नदियों पर बांध बनाकर, जल संरक्षण तकनीकों को अपनाकर और वृक्षारोपण बढ़ाकर आद्र भूमि को बचाया जा सकता है।
वनस्पति विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना सोनारे ने कहा कि रामसर आद्र भूमि को संरक्षित करना और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाना हर परिवार का दायित्व होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को जल संरक्षण की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
– कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने लिया संकल्प
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने आद्र भूमि के संरक्षण का संकल्प लिया। कार्यक्रम का मंच संचालन प्रोफेसर संतोष पवार ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन डॉक्टर प्रीति पाल ने किया। आयोजन को सफल बनाने में डॉक्टर महेंद्र नावंगे, प्रोफेसर दीपिका साहू, निकिता इंग्ले, श्रद्धा नगदे, अभिलाष और हेमलता का विशेष योगदान रहा।