Holi : यहां रंगों से नहीं चिता की भस्म से खेलते हैं होली

Here Holi is played not with colors but with the ashes of pyre

न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में सबसे निराली होली

यूपी की विशेषता है कि यहां भांति-भांति की होली देखने को मिलती है. जहां मथुरा में फूलों के साथ लठ्ठमार होली का सुंदर नजारा दिखाई देता है तो वहीं वाराणसी में मसान की अद्भुत होली भी देखने को मिलती है. जहां साधु-संत, अघोरी फूल व रंगों से नहीं चिताओं की भस्म से होली खेलते हैं. ये होली श्मशान में खेली जाती है. घाट पर खेली जाने वाली मसान होली न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में सबसे निराली है.

Big News:जानिए ब्राजील के कीड़ों ने कैसे बचा दिए सरकार के करोड़ों, मुफ्त कर दिया चाइनीज का खात्मा.. यह पढ़े

ऐसा इसलिए क्योंकि महादेव के इस शहर में भोले के भक्त श्मशान के गम भरे माहौल में होली की मस्ती करते दिखाई देते हैं. इस बार भी होली के मौके पर रंगभरी एकादशी के दिन (शुक्रवार) ये अद्भुत नजारा यहां देखने को मिला. तो वहीं देश-विदेश से आए लोग इस पल को कैमरे में कैद करते दिखे, जिसके तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.बता दें कि बनारस के गंगा घाट पर हुई मसान होली में देश के अलग-अलग जगहों के औगढ़ और अघोरी पहुंचे थे, जो श्मशान में जलती चिताओं के बीच होली खेलते दिखे.
ये है मान्यता


मसान में खेली गई होली में अघोरी, तांत्रिक, साधु-संत गले में नरमुंड की माला और सांप डाले एक-दूसरे को जलती चिता की भस्म लगाते दिखाई दिए. काशी में ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के अगले दिन बाबा विश्वनाथ ने यहां महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर अपने गणों के साथ होली खेली थी. इसी परम्परा के चलते यहां पर जलती चिताओं के बीच डमरू और शंख की आवाजों के बीच अघोरी, तांत्रिक और साधु संत एक दूसरे को वहीं की राख को लगाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस अद्भुत होली को खेलने और इसकी छटा देखने के लिए खुद बाबा विश्वनाथ अदृश्य रूप से इसमें शामिल होते हैं. बनारस के विश्वविख्यात मणिकर्णिका घाट पर ऐसी होली खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. बताया जाता है कि पूरी दुनिया से हजारों की संख्या में पर्यटक इस होली को देखने के लिए बनारस पहुंचते हैं.
श्मशान घाट में इसलिए खेलते होली
यहां के लोग बताते हैं कि होली खेलने की शुरुआत से पहले बाबा मसान नाथ का श्रंगार, पूजन और उनकी आरती की जाती है. इसके बाद भस्म और गुलाल से होली खेली जाती है. इस साल बनारस में मसान की होली की शुरुआत अघोर पीठ बाबा कीनाराम आश्रम से शोभायात्रा निकालने से हुई. इस जुलूस में हजारों लोग शामिल हुए. शोभायात्रा में भगवान शिव के काफी सारे भक्त उन्हीं के भेष में शामिल हुए. करीब 5 किलोमीटर तक चली ये यात्रा सोनारपुरा और भेलुपुरा होती हुई राजा हरिश्चंद्र घाट पर संपन्न हुई. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने महाशिवरात्रि पर देवी पार्वती से विवाह किया और कुछ दिनों के लिए पार्वती के मायके में ही रहे.
ऐसा माना जाता है कि दो हफ्ते बाद, रंगभरी एकादशी पर, भगवान शिव उन्हें शादी के बाद पहली बार काशी ले आए. ऐसा माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के भक्तों ने देवी पार्वती के आने का जश्न मनाया गया था, लेकिन शिव के भक्तों को रंगों से खेलने का मौका नहीं मिला, इसलिए भगवान स्वयं भस्म से उनके साथ होली खेलने के लिए श्मशान घाट आए थे.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button