बैतूल। जिस काम के लिए करोड़ों रुपए पानी में बहा दिए गए और करोड़ों की योजना बना ली गई थी, उसे ब्राजील के कीड़ों ने मुफ्त में कर डाला। चौंकिए नही यह एक ऐसी हकीकत है जिसे सुनकर भरोसा नही हो तो एक बार बैतूल जिले के सारणी में थर्मल पॉवर प्लांट के सतपुड़ा जलाशय घूम आइए। इस जलाशय में साल्विनिया मोलेस्टा यानी (चाइनीस झालर) पिछले कुछ वर्षों से ऐसी फैली कि पूरा जलाशय इससे ढंक गया।
जलाशय के अस्तित्व पर संकट आता देखकर सांसद डीडी ऊईके ने संसद में मामले को उठाकर मदद मांगी, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि चिंतित हुए। पावर प्लांट के इंजीनियरों ने अपने और दूसरों के लाभ के लिए लाखों रुपए खर्च कर साल्विनिया मोलेस्टा यानी (चाइनीस झालर) हटाने का ठेका दे दिया। सरकार के खजाने को लगातार चपत लगाई गई लेकिन साल्विनिया मोलेस्टा यानी (चाइनीस झालर) कम होने की बजाय पूरे हिस्से में फैलती चली गई। इंजीनियरों ने जो काम करोड़ों खर्च के बाद भी नही कर पाया उसे कृषि वैज्ञानिकों ने मुफ्त में कर दिखाया।
भारतीय खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के वैज्ञानिको ने चाइनीज झालर को खत्म करने के लिए ब्राजील के छह लाख सिर्टोबैगस साल्विनी कीड़े सतपुड़ा जलाशय में वर्षाकाल के बाद छोड़ दिए थे। इन कीटों ने चाइनीज झालर का खात्मा करने के साथ ही अपना कुनबा भी तेजी से बढ़ा लिया। असंख्य हो चुके ब्राजील के सिर्टोबैगस साल्विनी कीड़े आने वाले दो से तीन माह में चाइनीज झालर का पूरी तरह खात्मा कर देंगे। पावर प्लांट के मुख्य अभियंता वीके कैथवार की मानें तो चाइनीस झालर सफाई के लिए पूर्व में 80 लाख रुपए खर्च किए गए थे। जलाशय से चाइनीस झालर को हटाने के लिए 15 करोड़ रुपए की एक योजना तैयार की गई थी। इसी बीच कीड़ों की मदद लेने का निर्णय लिया गया। कीड़े से चाइनीस झालर के खात्मे का तरीका अपनाया गया। जिससे मंडल के करोड़ों रुपए बच गए।
खत्म हो रही चाइनीज झालर
जल प्रहरी मोहन नागर ने बताया कि जनभागीदारी से इसे स्वच्छ करने के दो वर्ष तक निरन्तर प्रयास किये । सफलता भी मिली किन्तु साफ करने से अधिक इसके फैलने की गति के कारण यह पुनः-पुनः बाँध पर कब्जा कर लेती है।तीन-चार माह पूर्व सतपुड़ा जलाशय की चाइनीस झालर को नष्ट करने के लिए ब्राजील के सिर्टोबैगस साल्विनी कीड़े डालने के बाद से जलाशय की चाइनीस झालर सूखना शुरू हो गई है। साल्विनिया मोलेस्टा (चाइनीस झालर) को हटाने के लिए एक प्रभावी बायो एजेंट सिर्टोबैगस साल्विनी की मदद ली है। यह भी मूल रूप से ब्राजील में पाया जाता है। सिर्टोबैगस साल्विनी कीट की विशेषता यह है कि यह केवल साल्विनिया मोलेस्टा को खाकर ही जीवित रहता है। कुछ कीट डाल देने पर धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती जाती है और कुछ ही महीनों में पूरा तालाब साफ कर देते हैं । आशा है अगले वर्ष तक सतपुड़ा जलाशय पूर्ण रूप से स्वच्छ होगा।