Forest Spotted Outlet in Betul (MP): बैतूल जिले के जंगलों में मौजूद हैं लुप्त हो रहे चित्तीदार उल्लू
Betul Today News: बैतूल। लगभग दो दशक पहले तक पूरी दुनिया में लुप्त मान लिए गए फारेस्ट स्पाटेड आउलेट (चित्तीदार उल्लू) की संख्या महाराष्ट्र के बाद अब मप्र में भी बढ़ रही है। खंडवा और बुरहानपुर के जंगलों के बाद बैतूल जिले में भी इस पक्षी के होने के संकेत जीव विज्ञानियों को मिले हैं, जिसके बाद एक दल जल्द ही बैतूल में इनके आशियाने का पता लगाने व शोध के लिए जाएगा और फिर इनके संरक्षण को लेकर प्रयास तेज होंगे। फारेस्ट स्पाटेड आउलेट की बड़ी संख्या गुजरात और मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की उत्तरी सीमा में लगभग 650 किलोमीटर क्षेत्र में फैले जंगलों तक ही सीमित है। 150 साल पहले तक यह पक्षी ओडिशा और छत्तीसगढ़ के जंगलों में सभी बहुतायत से पाया जाता था। अब इस पक्षी की खोज में जीव विज्ञानी महाराष्ट्र की सीमा से लगे बैतूल के जंगलों में इसी माह डेरा डालने की तैयारी कर रहे हैं।
जंगलों के खत्म होने से लुप्त होने की कगार पर पहुंचाः
भारत में चित्तीदार उल्लू के नाम से प्रसिद्ध इस जीव की लंबाई मात्र आठ से नौ इंच होती है, इसलिए इसे छोटा उल्लू भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से पेड़ों की कोटरों में रहना पसंद करते हैं। जीव विज्ञानी बताते हैं कि पुराने पेड़ों में ही कोटरों का विकास होता है, लेकिन लगातार जंगलों के कम होने से इस तरह के पेड़ों की संख्या कम हो गई। प्राकृतिक आवास कम होने से इनकी संख्या तेजी से घटने लगी। फारेस्ट स्पाटेड आउलेट की खोज 1872 में ब्रिटिश पक्षी शास्त्री एलन आक्टेवियन ह्यूम ने की थी। उसके बाद लगभग 113 सालों तक इसे नहीं देखा गया और उसे लुप्त मान लिया गया।वर्ष 1997 में दोबारा खोजा वर्ष 1997 में वाइल्ड लाइफ रिसर्च एंड कंजर्वेशन सोसायटी की डा. प्राची मेहता ने खंडवा में इन्हें एक सागौन के पेड़ पर खोजा था। इसके बाद संरक्षण को लेकर प्रयास तेज हुए।वाइल्ड लाइफ रिसर्च एंड कंजर्वेशन सोसायटी के रिसर्च आफिसर धीरज दास ने बताया कि इस पक्षी के बैतूल में होने के कई प्रमाण हमारे दल को मिले है। जल्दी ही हम बैतूल में इनका पता लगाने के लिए शोध शुरू करेंगे, ताकि इनके संरक्षण को लेकर कार्य किया जा सके।
- बर्ड सर्वे में मिलीं पक्षियों की 185 प्रजातियां, 5 दुर्लभ पक्षी भी मिले:
बैतूल जिले के दक्षिण वन मंडल में कराए गए बर्ड सर्वे में दुर्लभ पक्षियों की 5 प्रजातियां मिली हैं। वन विभाग के मुताबिक, सर्वे में पक्षियों की 185 प्रजातियों का पता लगा है। इनमें 5 दुर्लभ पक्षी हैं। दुर्लभ पक्षियों में लेसर येलोनेप, रोसी मिनीवेट, अल्पाईन स्विफ्ट, वेलवेट–फन्टेड नटहेच प्रजाति शामिल है।
वन मंडलाधिकारी दक्षिण विजयानतम टी.आर. ने बताया कि इन पक्षियों की प्रजातियां बमुश्किल ही मिलती हैं। उन्होंने बताया कि बैंगलोर एवं इंदौर से पहुंची एक्सपर्ट की टीमों ने सर्वे रूट पर पक्षी सर्वे किया। उन्होंने बताया कि 185 पक्षियों में से लेसर येलोनेप, रोसी मिनीवेट, अल्पाईन स्विफ्ट, वेलवेट–फन्टेड नटहेच दुर्लभ प्रजाति के पक्षी सतपुड़ा टाईगर रिजर्व एवं कान्हा टाईगर रिजर्व में ही पाये जाते है, जो बैतूल के उक्त वनक्षेत्रों में पाये जाने की विशेष पहचान की गई।