Betul news: बाबा साहब की जयंती पर जयस प्रदेश संयोजक जामवन्त कुमरे को फलों से तौला

गुरुवा पिपरिया में धूमधाम से मनाई अम्बेडकर जयंती  

बैतूल। भीमपुर विकासखंड के ग्राम गुरवा पिपरिया में बाबा साहेब अंबेडकर की 137 वी जयंती मनाई गई। संविधान और बाबा साहेब की छायाचित्र पर पुष्प एवं माल्यार्पण कर उन्हें याद किया, जय भीम के नारों से पुर ग्राम गूंज उठा। मुख्य अतिथि के तौर पर जयस प्रदेश संयोजक जामवन्त सिंह कुमरे शामिल हुए।आयोजक समिति ने उनका तिलक लगाकर भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर जामवन्त कुमरे को तरबूज एवं अन्य फलों से तौला। ग्रामीणके अनुसार बाबा साहेब जिन शोषित पीड़ित वंचितो के अधिकारों के लिये लंबी लड़ाई लड़े थे, वैसे ही बाबा साहेब अंबेडकर, बिरसा मुंडा, टंट्या मामा भील,गंजन सिंह कोरकू,विष्णु सिंह गोंड, रामजी भाऊ कोरकू की प्रेरणा से जामवन्त सिंह कुमरे आज अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है। आयोजक समिति में लक्ष्मण बिसोने, आत्माराम बिसोने चिल्लोर, छोटू उइके, चवलसिंग आहके उप संरपच, हेमराज नागले, मनोहर वरकडे गुरुवा, छानू जी बारस्कर एवं महिलायें मौजूद रहीं।

— बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर 9 भाषाओं और 32 डिग्री धारक थे —

कुमरे ने बताया बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर 9 भाषाओं को जानते थे। इन्होंने देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानक उपाधी प्राप्त की. बाबा साहेब के पास लगभग 32 डिग्रियां थीं.

जानेमाने वकील, राजनीतिज्ञ,अर्थशास्त्री, सामाजिक प्रवक्ता थे, उन्होंने दलितो और जातिगत दंश को बर्दाश्त ना करने का मन बनाया समाज में भेदभाव से तंग आकर उन्होंने इसे कम करने अपना जीवन समानता, भाईचारे और मानवता के लिए समर्पित कर दिया था, बाबा साहेब ने मजदूरों से लेकर महिलाओं के अधिकारों के लिये बहुत से कानून बनाये और स्वतंत्र देश के पहले कानून मंत्री भी रहे थे।

-शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार बताया-

लक्ष्मण बिसोने ने बताया यदि अशिक्षित युवा,दलित, आदिवासी शिक्षित हो जायेंगे तो बाबा साहेब की तरह संविधान के जैसे मसौदे तैयार करने में बार-2 अपना पुनः योगदान दे सकेंगे परन्तु आज का युवा शराब नशा और मोबाईल के चक्कर मे सही दिशा से भटक गया है, आज स्कूलों में लोकतांत्रिक और एकतामूलक विषयो पर चर्चा नही होती है,परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों में असमानता, जातिवाद, आपसी भाईचारा जैसे नैतिक मूल्यों की कमी है और वही सरकार ग्रामीण क्षेत्रो के स्कूलों में शिक्षको की भर्ती नही कर रही है व्यवस्थाओं के नाम पर करोड़ो रूपये गबन कर रही है परंतु उसका सही मेंटेनेंस खर्च स्कूलों में नही कर रही है।

-घर-घर मे बाबा साहेब और महापुरुषों की जरूरत-

हेमराज नागले ने बताया स्कूलों में महापुरुषों के बारे में नही पढ़ाया जाता परंतु हम अपने अपने घरो में महापुरुषों की फ़ोटो लगाकर उनके आदर्शों, पदचिन्हों पर चलने बच्चो को प्रेरित कर सकते है, निश्चित रूप से एक दिन हजारों बाबा साहेब, बिरसा मुंडा जैसे महापुरुषों का जन्म होगा।

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