Betul News : रेत ठेकेदार के साथ मिलकर सरकारी योजनाओं पर पलीता लगा रहे खनिज और राजस्व के अधिकारी

Mineral and revenue officials sabotaging government schemes along with sand contractor

सीएम की घोषणा के बाद भी ग्रामीणों को उपलब्ध नहीं करवाई जा रही 15 क्यूबिक मीटर रेत

बैतूल। जिले में रेत खनन के दौरान ठेकेदार पावर मेक कंपनी की मनमानी और खनिज विभाग की उदासीनता का बड़ा मामला सामने आया है। जिला कांग्रेस कमेटी के ग्रामीण जिला अध्यक्ष हेमंत वागद्रे ने इस मामले में आरोप लगाया है कि रेत ठेकेदार से मिलकर खनिज एवं राजस्व विभाग के अधिकारी सीएम की घोषणा को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं।
कलेक्टर को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक घोषणा कर 10 क्यूबीक मीटर के स्थान पर 15 क्यूबीक मीटर रेत प्रतिवर्ष दिए जाने के निर्देश दिए है। शासन के नियम एवं मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी बैतूल जिले में खनिज विभाग ने राजस्व विभाग के साथ मिलकर ग्रामसभा के क्षेत्र में आने वाली रेत खदानों का चिन्हांकन नहीं किया, उन खदानों से नियम के अनुसार हितग्राहियों का चिन्हांकन नहीं किया, उन खदानों से नियम के अनुसार हितग्राहियों को रेत के खनन एवं परिवहन की अनुमति दिए जाने के अधिकार ग्राम पंचायत को नही सौपें। खनिज विभाग एवं राजस्व विभाग रेत के ठेकेदार से मिलजुलकर और सांठगांठ कर मुख्यमंत्री की सार्वजनिक घोषणा में अड़ंगेबाजी एवं अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं, ग्रामवासियों को 15 क्यूबिक मीटर रेत उपलब्ध करवाने के अधिकार ग्राम पंचायत को देने से इन्कार कर रहे है।

श्री वागद्रे ने सीहोर जिले की तर्ज पर बैतूल में भी हितग्राही मूलक कार्य में निशुल्क रेत उपलब्ध कराने की मांग की है। उन्होंने बताया कि बैतूल में रेत खनन का ठेका लेने वाली कम्पनी का ही सीहोर में भी रेत खनन का ठेका है। वहां पर खनिज अधिकारी ने प्रधान मंत्री आवास जैसे हितग्राही मूलक कार्य में रेत निशुल्क उपलब्ध कराने के लिए लिखित आदेश जारी किए। इसी तरह बैतूल में भी प्रधानमंत्री आवास, शौचालय निर्माण जैसे कार्य के लिए भी निशुल्क रेत उपलब्ध कराने के लिए आदेश जारी किया जाए। सिर्फ ग्रामीण निर्माण ही नही शहरी क्षेत्र के लिए भी यही व्यवस्था लागू की जाए। नगर पालिका बैतूल सीएमओ ने इस संबंध में खनिज अधिकारी बैतूल को प्रधान मंत्री आवास के हितग्राही की सूची के साथ पत्र भी लिखा पर प्रभारी खनिज अधिकारी ने इस संबंध में रेत ठेकेदार को किसी भी तरह से कोई दिशा निर्देश प्रदान नही किए है। उन्होंने मांग की है कि खनिज अधिकारी आदेशित करे की वह शहरी एवं ग्रामीण दोनो क्षेत्र में हितग्राही मूलक कामों में निशुल्क रेत उपलब्ध करवाए।

पेसा एक्ट के उल्लंघन का आरोप

श्री वागद्रे ने आरोप लगाया कि ग्रामीण हितग्राहियों के द्वारा नियम 4 में दी गई छूट के अनुसार रेत का परिवहन करने पर रेत ठेकेदार के गनधारी लोग वाहनों को पकड़ रहे है, ग्रामवासियों के द्वारा विरोध किए जाने पर वाहनों को पुलिस की मदद लेकर बन्द करवा रहे हैं, विरोध करने वाले ग्रामवासियों पर धारा 107 116 के प्रकरण भी पंजीबद्ध करवा रहे है।
15 नवम्बर 2022 से लागू पेसा नियम के नियम 22 में दिए गए स्पष्ट प्रावधान के बाद भी जिले के 4 अधिसूचित क्षेत्रों की 41 रेत खदान को नीलामी पर दिनांक 17 नवम्बर 2022 को रखा जाकर दिनांक 9 फरवरी 2023 में बाकायदा अनुबन्ध भी कर लिया इन 41 खदानों में से अभी तक रेत ठेकेदार को मात्र 5 खदानों से ही रेत के खनन एवं परिवहन की अनुमति दी गई है। रेत ठेकेदार शासकीय अधिकारियों की मिली भगत से पूरे जिले में रेत का खनन कर रहा है, रेत का भारी वाहनों से परिवहन कर प्रधानमंत्री सड़कों को पूरी तरह से नष्ट किया जा रहा है। ग्राम पंचायत के सरपंच, उप सरपंच एवं पंचों के द्वारा रेत के अवैध खनन, अवैध परिवहन एवं सड़कों के नष्ट किए जाने बाबत् की जा रही शिकायतों पर कोई कार्यवाही शासन एवं प्रशासन नही कर रहा।

राजपत्र में जारी किए प्रावधान 

मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार 15 क्यूबिक मीटर रेत के संबंध में राजपत्र में भी उल्लेख किया गया है। राजपत्र के अनुसार मध्यप्रदेश शासन खनिज विभाग ने राजपत्र में दिनांक 30 अगस्त 2019 को रेत बाबत नियम अधिसूचित कर नियम 4 की उप नियम (1) एवं (2) में ग्राम पंचायत एवं ग्रामीणों के लिए प्रावधान किए।
(1) पंचायत/नगरीय निकाय द्वारा शुरू की गई शासकीय योजना या अन्य लाभप्रद कार्यो ( स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि) के लिए निकटतम स्वीकृत रेत खदान से रायल्टी का भुगतान करने के उपरांत ही रेत प्राप्त की जा सकेगी। पंचायत/नगरीय निकाय द्वारा जमा की गई रायल्टी की संपूर्ण रकम, सदान (लोडिंग) एवं परिवहन को छोड़कर की वापसी आवश्यक जांच एवं प्रमाणीकरण के आधार पर की जाएगी परंतु पंचायत/नगरीय निकाय के लिए कार्य ठेकेदार के द्वारा किए जाते हैं, तो उपरोक्त जमा रायल्टी वापस नहीं की जाएगी।
(2) अनुसूचित जाति, जनजाति के मजदूर, सदस्यों, कारीगरों, ग्रामीण कृषकों द्वारा स्वयं के निवास के निर्माण, मरम्मत, कुओं के निर्माण व कृषि कार्यों हेतु ग्रामसभा द्वारा, अपनी अधिकारिता के भीतर, इस प्रयोजन के लिए सीमांकित एवं चयनित किए गए क्षेत्र से एक वर्ष में अधिकतम 10 घनमीटर रेत का उपयोग किया जा सकेगा।

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