Betul News : 5 वर्ष पूर्व वन मंत्री ने दिया था लिखित आश्वासन, आज तक नहीं हुआ मांगों का निराकरण
Betul News: Forest Minister had given written assurance 5 years ago, demands have not been resolved till date
स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ लगाए उपेक्षा के आरोप
बैतूल। अपनी लंबित मांगों का निराकरण नहीं करने से नाराज वन कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि प्रदेश के लाखों वन कर्मचारी सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। वर्षों से वन कर्मचारियों की जरूरी मांगों का निराकरण नहीं हो पाया है। आज से 5 वर्ष पूर्व वन मंत्री द्वारा लिखित आश्वासन देने के बावजूद किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। इन वन कर्मचारियों ने मंगलवार को स्टेट फारेस्ट रेंज ऑफिसर्स (एसोसिएशन), मध्यप्रदेश के बैनर तले मुख्यमंत्री, महामहिम राज्यपाल के नाम सांसद, विधायक को ज्ञापन सौंपकर मांगों का तत्काल निराकरण करने की मांग की।
एसोसिएशन के अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार ने बताया कि स्टेट फारेस्ट रेंज ऑफिसर्स (राजपत्रित) एसोसिएशन, मध्यप्रदेश की दीर्घकालिक लंबित मांगों पर शासन द्वारा आज दिनांक तक किसी प्रकार का कोई निराकरण नहीं किया गया है। इन मांगों के सम्बन्ध में 5 वर्ष पूर्व तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार द्वारा मांगें पूर्ण कराने का लिखित आश्वासन दिया गया था, परन्तु आज 5 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात भी शासन द्वारा कोई कार्यवाही इस सम्बन्ध में नहीं की गयी है, जो रेंजर कैडर को पूर्ण रूप से हतोत्साहित करते हुए आन्दोलन के लिए विवश करती है।
एसोसिएशन की यह है मांग
सांसद विधायक को सौंपा ज्ञापन में एसोसिएशन ने उल्लेख किया कि रेंज ऑफिसर का प्रशिक्षण काल सेवा काल में जोड़ा जाये। जैसे कि म.प्र. लोक सेवा आयोग से एक ही परीक्षा से चयनित सहायक वन संरक्षक संवर्ग को प्रथम नियुक्ति दिनांक से शासकीय सेवा में माना जाता है एवं भारत के अन्य राज्यों के रेंज ऑफिसर्स जो मध्यप्रदेश के रेंज ऑफिसर्स के साथ प्रशिक्षण लेते है, उन्हें भी प्रशिक्षण के प्रथम नियुक्ति दिनांक से शासकीय सेवा काल में सम्मिलित किया गया है। परन्तु मध्यप्रदेश के रेंजर संवर्ग को प्रशिक्षण काल के 1.5 वर्ष के उपरान्त शासकीय सेवा काल में सम्मिलित किया जाता है। जिसके लिए शीघ्र ही उक्त व्यवस्था को रेंजर संवर्ग के लिए संसोधित किया जाना अपेक्षित है।
म.प्र. लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती से चयनित रेंज ऑफिसर, द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी का सेवा में चयन 3600 ग्रेड पे पर किया जाता है, जबकि इसी प्रकार म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत एवं सहायक लोक अभियोजन अधिकारी का चयन सीधा 4200 ग्रेड पे पर किया जाता है।
साथ ही रेंज ऑफिसर्स के वेतनमान के सम्बन्ध में भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पत्र के अनुक्रम में एक रूपता को वेतन मान के सम्बन्ध में अनुशंसा की गई है। वाबजूद इसके अन्य राज्यों के रेन्ज ऑफीसर्स की तुलना में मध्यप्रदेश के रेंज ऑफीसर्स को कम वेतन दिया जा रहा है। इसी प्रकार रेंज ऑफिसर्स का प्रारम्भिक वेतनमान सातवे वेतनमान के मेट्रिक्स 10 में लाते हुए रेंज ऑफिसर्स को वेतनमान 42700 किया जावे। साथ ही समस्त मैदानी वन अमले (वनरक्षक से लेकर रेंजर तक) के वेतनमान को भी निम्रानुसार बढ़ाया जाए एवं कंप्यूटर ऑपरेटर का नियमितिकरण किया जाए।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि रेंज ऑफिसर्स को 4200 ग्रेड पे पर भर्ती कर प्रथम समयमान वेतन 8 वर्ष उपरान्त 5400 (छटवे वेतनमान अनुसार) के पदक्रम में बढाया जाए, रेंज ऑफिसर्स के सेवा शर्तों में उपरोक्त संशोधन के साथ राजपत्र में प्रकाशित किया जाए ताकि उसके अनुसार संवर्ग को लाभ मिल सके। रेंज ऑफिसर्स एवं समस्त मैदानी वन अमले को वन एवं वन्य प्राणी सुरक्षा के समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 45 के तहत सशस्त्र बल घोषित किया जाए।आवश्यकता अनुसार शस्त्र चलाने की अनुमति देते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत पर्याप्त संरक्षण प्रदान किया जाए। रेंज ऑफिसर्स, द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी से राशि रूपये 40 हजार की प्रतिभूति राशि जमा कराई जाती है जो तृतीय श्रेणी के लिए लागू है। जबकि वर्तमान में रेंज ऑफिसर को संवितरण का अधिकार भी नहीं है।
अतः इस व्यवस्था को तत्काल समाप्त किया जाए। प्रशिक्षण काल की वेतन वृद्धि का लाभ तुरंत प्रदान किया जाए। एवं मप्र के विभिन्न वनमंडलों में व्याप्त विषमताओं को दूर करने हेतु वित्त विभाग द्वारा अनुमोदन कराते हुए इसको तुरंत राजपत्र में प्रकाशित किया जाए। रेंज ऑफिसर्स को पदोन्नति के स्थान पर अगर सहायक वन संरक्षक का कार्यवाहक प्रभार दिया जाता है तो समस्त वेतन एवं भत्ते उच्चतर पद के अनुरूप हो, साथ ही वैधानिक रूप से पदानुसार सहायक वनसंरक्षक को प्राप्त समस्त प्रकार की कार्यवाही के अधिकार प्रदान किये जाए।