Betul-Indore fourlane highway construction : किसानों ने अधिग्रहित भूमि मामले में लगाए अनियमितता के आरोप

Betul-Indore fourlane highway construction: Farmers allege irregularities in acquired land case

बैतूल। बैतूल -इंदौर फोरलेन हाईवे निर्माण के दौरान अधिग्रहित भूमि के मामले में अनियमितता के आरोप लगाते हुए भारतीय किसान यूनियन ने कलेक्ट्रेट के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन में शामिल किसानों ने इंदौर भोपाल हाईवे में अधिग्रहित की गई भूमि से शेष भूमि का सीमांकन कर सीमा चिन्हित करने एवं पहले अवार्ड के अनुसार मुआवजा राशि देने की मांग की। इसके साथ ही किसानों ने अघोषित बिजली कटौती को लेकर जमकर आक्रोश व्यक्त किया।

किसानों ने बताया कि कई जगह बिजली खंभों के तार खेतों में लटक रहे हैं। ऐसी खतरनाक स्थिति में उन्होंने तत्काल सुधार कार्य करने की मांग की है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महामंत्री हंसराज गालर, प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष पटवारे के नेतृत्व में यूनियन पदाधिकारियों ने महामहिम राज्यपाल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर किसानों की समस्याओं का तत्काल निराकरण करने की मांग की है। किसान यूनियन के पदाधिकारियों का आरोप है कि फोरलेन निर्माण में जिन किसानों की भूमि आई है उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया है। अधिग्रहित भूमि में अनियमितता बरतते हुए किसानों के साथ छलावा किया गया है।

प्रदेश महामंत्री हंसराज गालर ने धरना प्रदर्शन में शामिल यूनियन पदाधिकारियों सहित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज किसान अपने हक अधिकारों के लिए संघर्ष करने में पीछे हट जाता है यही कारण है कि किसानों के साथ सरकार द्वारा दोहरी नीति अपनाई जाती है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ सरकार छलावा कर रही है, एक तरफ उद्योगपतियों को उनके अनुसार 24 घंटे बिजली दी जा रही है वहीं किसानों को कटौती का सामना करना पड़ रहा है। विद्युत आपूर्ति का कोई निश्चित समय नहीं है।

गौरतलब है कि बंसल कंस्ट्रक्शन कंपनी सड़क निर्माण का कार्य कर रही है। किसानों ने मांग की है कि अधिग्रहित की गई भूमि का सीमांकन कर सीमा चिन्हित की जाए। एनएचएआई के नक्शे के अंदर जिस जगह को पहले आवार्ड में छोड़ा गया था, इन लोगो को भी पहले आवार्ड के अनुसार (गाईड लाईन) मुआवजा राशि दी जाए, इसके अलावा निर्माण में जो परिसम्पत्तिया छुटी द्वितीय एवं तृतीय मुआवजा सूची मे जोड़ा जाये। फोरलेन अधिग्रहण जो दिशासूचक (खंबा) लगाए गए हैं उसके बाहर अधिग्रहण किया गया जिसके कारण हितग्राही की भूमि का अधिक अधिग्रहण होना पाया गया है।

नक्शे में आ रही भिन्नता

किसान यूनियन ने आरोप लगाया कि एनएच 47 का रास्ता एवं राजस्व विभाग के नक्शे में भिन्नता आ रही है। अधिग्रहण के समय किसी भी अधिकारी के द्वारा मौके की जांच नहीं करने के कारण आज प्रभावित किसान परेशान हो रहे है। किसानों को उनके खेत की सीमा तक पता नहीं है। किसान यूनियन ने मांग की है कि एन.एच. 47 में प्रभावित हितग्राहियों को पुर्नवास योजना का लाभ दिया जाये। कम्पनी द्वारा नाले की दिशा परिवर्तित की है जिसके कारण किसानों की कृषि भूमि का कटाव हो रहा है, निराकरण किया जाए। अधिग्रहित भूमि का पुनः सीमांकन किया जाए।

मुआवजा राशि बढ़ाए या जमीन के बदले जमीन दी जाए

भारतीय किसान यूनियन ने विकास खण्ड भीमपुर ग्राम सिंगारचावडी के सावन्या लघु जलाशय परियोजना में अधिग्रहित भूमि से प्रभावित किसानों मुआवजा राशि बढ़ाकर देने अथवा जमीन के बदले जमीन की मांग की है। गौरतलब है कि सिंगारचावडी ग्राम के जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है उन किसानों के पास कुछ भी नहीं है। किसान यूनियन ने ऐसे किसानों को मकान बनाने के लिए उसी ग्राम में शासकीय भूमि आवंटित कर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने की मांग की है।

भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाए कि बिजली विभाग के द्वारा एवरेज बिल के नाम से किसानों से भारी-भरकम बिल वसूला जा रहा है। किसान यूनियन ने रीडिंग के हिसाब से बिल वसूली की मांग की है। इसके अलावा अस्थाई मोटर पम्प कनेक्शन के लिए किसानों की मांग अनुसार समय सीमा के लिए कनेक्शन देने की मांग की गई है। ज्ञापन में बताया कि बैतूल जिले के ग्राम गढ़ा, दनोरा, कुमली, हिवरखेडी, कोदारोटी, नसीराबाद, मण्डाई इत्यादि ग्रामों में किसानों के कृषि मोटर पम्प चोरी की वारदातें बढ़ गई है। पुलिस में शिकायत के बावजूद चोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

इन समस्याओं पर भी किया ध्यानाकर्षण 

किसानों की केसीसी ऋण का डिफाल्टर किसानों के ब्याज की राशि माफ किये जाने की घोषणा की गई है। वर्तमान में जो डिफाल्टर किसान है। उन किसानो के सिर्फ सहकारी विपणन संस्थाओं का ऋण ब्याज माफ करने का आदेश जारी किया गया है जबकि किसानों के द्वारा कमर्शियल बैंक की से भी केसीसी से ऋण लिया है। कमर्शियल बैंको का भी ऋण माफ किया जाये। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उपार्जन के उपरांत 7 दिवस में भुगतान किया जाना सुनिश्चत है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है, विलम्ब से भुगतान की स्थिति में 13 प्रतिशत की दर मय ब्याज सहित भुगतान किया जाये। कृषि उपज मंडी में किसानो की उपज न्यूतम समर्थन मूल्य से कम पर बेची जा रही है। मंडी अधिनियम की धारा 36 (3) के प्रावधान एवं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीदी करने वाले व्यापारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाए। फसल बीमा योजना के तहत नुकसान के अनुरूप क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने सहित अन्य मांगे शामिल है।

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