The only place in the whole world: एमपी के बैतूल जिले में बारह ज्योर्तिलिंगों का अद्वितीय धाम है बारहलिंग
त्रेतायुग से आज तक बरकरार है श्रावण माह में सूर्यपुत्री ताप्ती के जल से बारह ज्योर्तिलिंगों का अभिषेक
बैतूल। पूरी दुनिया में एकमात्र स्थान जहां बारह ज्योर्तिलिंग प्राण प्रतिष्ठित हैं, वह है बैतूल जिले में स्थित शिवधाम बारहलिंग। इस पावन स्थल पर त्रेतायुग में भगवान श्रीराम द्वारा प्राण प्रतिष्ठित बारह ज्योर्तिलिंग ताप्ती नदी की काली चट्टानों पर भगवान विश्वकर्मा की उंगलियों द्वारा उकेरे गए थे। प्रतिवर्ष श्रावण माह में ताप्ती नदी की जलधारा से इन बारह तपेश्वर ज्योर्तिलिंगों का अभिषेक होता है, जो एक अद्वितीय और चमत्कारिक दृश्य है।
यह पवित्र स्थल त्रेतायुग से जुड़ा है, जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपनी जीवन संगनी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां तीन दिनों तक निवास किया था। सीता स्नानागार और बारह ज्योर्तिलिंग इस ऐतिहासिक धरोहर के प्रमाण हैं। भगवान श्रीराम ने यहां अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण किया था, जिससे उनके पिता राजा दशरथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
— शिवधाम का महत्व और ताप्ती नदी की महिमा–
मध्यप्रदेश शासन से पंजीकृत मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति के प्रदेश सचिव सतीश पंवार बताते हैं कि ताप्ती नदी 750 किमी का सफर तय करती है, जिसमें से बैतूल जिले में 250 किमी का सर्पाकार सफर है। ताप्ती नदी का जल मृत आत्माओं को मोक्ष दिलाने की शक्ति रखता है। यह गंगा नदी से भी विशिष्ट है क्योंकि ताप्ती नदी में विसर्जित अस्थियां तीन दिनों में घुल जाती हैं। ताप्ती नदी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत उच्च है और इसे कुरूवंश की माता और शनि देव की बहन के रूप में जाना जाता है।
— शिवधाम में महात्मा गांधी और रानी विक्टोरिया भी आ चुके–
शिवधाम बारहलिंग का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी यहां आ चुके हैं। इसके अलावा, रानी विक्टोरिया भी हाथी खुर्र और रानी पठार की यात्रा कर ताप्ती नदी के दर्शन करने आई थीं। इस स्थल के आसपास रानी विक्टोरिया फाल और रानी पठार जैसे मनोरम दृश्य आज भी उनकी मौजूदगी का अहसास कराते हैं।
— हर वर्ष आदिवासी जतरा का आयोजन–
प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में शिवधाम बारहलिंग में भगवान श्रीराम के रुकने की स्मृति में आदिवासी जतरा (मेला) का आयोजन होता है। इस मेले में हजारों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं और इस पवित्र स्थल के अद्वितीय धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का अनुभव करते हैं।
— सूरत तक ताप्ती नदी के किनारे सौ से अधिक धार्मिक स्थल —
मुलतापी से सूरत तक ताप्ती नदी के किनारे सौ से अधिक धार्मिक स्थल हैं, जिनमें प्रकाशा तीर्थ और चांगदेव शामिल हैं। इन स्थलों का धार्मिक महत्व अत्यधिक है और यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। शिवधाम बारहलिंग के इस अद्वितीय धार्मिक स्थल को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति बीते दो दशकों से कर रही है। इस प्रयास से ताप्ती नदी और शिवधाम बारहलिंग का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, जिससे इस पवित्र स्थल की महिमा और भी बढ़ रही है।