खेती-किसानी : सोयाबीन लुढ़ककर तीन हजार पर आया लागत भी नहीं निकल पाने से किसान निराश
Soyabeen News : बैतूल। जिले में खरीफ फसलों की कटाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है। मौसम के कारण फसलें पहले ही खराब हो गई थीं। इससे पैदावार भी कम निकल रही है। इस परेशानी के अलावा किसान सोयाबीन के दाम अचानक कम होने से भी चिंतित हो रहे हैं। मंडी में नया सोयाबीन आना प्रारंभ हो गया है लेकिन एक माह पहले जो दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल पर थे वे अब लुढ़कर 3000 रुपये पर आ गए हैं। इससे किसान फसल की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
मानसून की लंबी खेंच और उसके बाद लगातार तेज वर्षा के कारण खरीफ सीजन की मुख्य फसल सोयाबीन पर संकट आ गया था। जब वर्षा का दौर खत्म हुआ तो फसल पर रोग और कीट प्रकोप प्रारंभ हो गया। ऐसे में किसानों को बेहतर पैदावार की उम्मीद नही थी। जब किसान कटाई करने के बाद फसल की थ्रेसिंग कर मंडी में बेचने पहुंच रहा है तो उसे पूरी तरह से निराश होना पड़ रहा है।बैतूल के बडोरा में स्थित कृषि उपज मंडी में एक माह पूर्व सोयाबीन के न्यूनतम दाम चार हजार रुपये प्रति क्विंटल पर थे और अधिकतम मूल्य 4790 रुपये था। इसके बाद से अचानक मंडी में आवक तो हो रही है लेकिन दाम लगातार कम होना प्रारंभ हो गए। पिछले एक सप्ताह में ही सोयाबीन के न्यूनतम दाम में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की कमी आ गई है।
बुधवार को मंडी में उपज लेकर पहुंचे किसान संतोष धुर्वे ने बताया कि मंगलवार को सोयाबीन 4000 रुपये से लेकर 4400 रुपये के बीच बिका था। उसे रबी सीजन की फसल के लिए खाद और बीज की खरीदी करनी थी इस कारण वह बुधवार को उपज लेकर आ गया। जब नीलामी प्रारंभ हुई तो 3001 रुपये न्यूनतम मूल्य पर खरीदी की गई। अधिकतम मूल्य 4400 रुपये ही रहा। एक ही दिन में न्यूनतम मूल्य में एक हजार रुपये की कमी आने के कारण अधिकांश किसानों की उपज 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ही बिकी है। किसान लक्ष्मण पवार ने बताया कि एक एकड़ के खेत में सोयाबीन की बुवाई से लेकर कटाई और मंडी तक पहुंचाने का खर्च 15 हजार रुपये आया है। जबकि थ्रेसिंग के बाद तीन से चार क्विंटल के बीच ही पैदावार प्राप्त हुई है।मंडी में कम दाम मिलने की वजह से फसल में जो लागत लगाई गई थी वह भी नही निकल सकी है।
गुणवत्ता न होने से कम हुए दाम:
कृषि उपज मंडी में साेयाबीन की खरीदी करने वाले व्यापारियों की मानें तो इस बार दाना बेहद खराब हो गया है। मंडी में आने वाली सोयाबीन की गुणवत्ता खराब है और नमी अधिक होने के कारण दाम कम हो गए हैं। बाजार में सोयाबीन की मांग भी कम है इस कारण से लेवाली ही कम दाम पर हो रही है। कई किसानों के द्वारा तो कचरे समेत ही सोयाबीन मंडी में लाया जा रहा है।ऐसे में खरीददार कम दाम की बोली लगाने के बाद किसान को बता भी रहे हैं और सहमति के बाद ही खरीदी कर रहे हैं। किसानों को समझाइश भी दी जाती है कि वे मंडी में उचित मूल्य पर उपज बेचने के लिए सफाई करने के बाद ही माल लाएं। इससे उन्हें अच्छे दाम प्राप्त होंगे।