Adiwasi: पेसा कानून लागू, फिर भी आदिवासियों को बेदखल कर रहा वन विभाग! किसानों में आक्रोश

युवा संगठन ने सौंपा ज्ञापन, आदिवासी किसानों को न्याय दिलाने की मांग


बैतूल। वन विभाग द्वारा आदिवासी किसानों को पट्टे पर दी गई भूमि पर जबरन कब्जा कर उन्हें बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। इतना ही नहीं, उनके खेतों में खड़ी फसल नष्ट कर दी गई, मकान तोड़ दिया गया और निस्तार की भूमि पर फेंसिंग कर दी गई, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस अन्याय के खिलाफ युवा आदिवासी विकास संगठन के जिला अध्यक्ष जितेंद्र सिंह इवने और जिला सचिव राजकुमार उइके के नेतृत्व में ग्राम धार के ग्रामीणों ने मुख्य वन संरक्षक वासू कनोजिया को ज्ञापन सौंपा।
इवने ने बताया कि वन ग्राम धार, वन परिक्षेत्र भौरा उत्तर वन मंडल तहसील शाहपुर के किसान छत्रपाल उइके के पूर्वजों को वर्ष 1976 में वन विभाग द्वारा 2.500 हेक्टेयर जमीन पट्टे पर दी गई थी। इस भूमि पर वे और उनके पूर्वज पिछले 50 वर्षों से खेती कर रहे हैं। लेकिन अब वन विभाग उन्हें जबरन बेदखल कर रहा है। खेतों में खड़ी फसल नष्ट कर दी गई, कच्चा मकान गिरा दिया गया और फलदार पौधे भी उखाड़कर फेंक दिए गए।
ग्रामीणों का कहना है कि छत्रपाल उइके को पिछले 7 सालों से वन विभाग के अधिकारी परेशान कर रहे हैं और हर साल खेती करने से रोका जाता है। शाहपुर तहसील पाँचवीं अनुसूची में आती है, जहां पेसा कानून 2022 लागू है। इस कानून के तहत ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर किसान की समस्या रखी गई थी, जिसमें वन विभाग के बीट गार्ड भी उपस्थित थे, लेकिन इसके बावजूद कोई न्याय नहीं मिला। वन विभाग न केवल पेसा कानून की अनदेखी कर रहा है, बल्कि निस्तार की भूमि पर फेंसिंग कर ग्रामीणों को उनके अधिकारों से वंचित कर रहा है।
वन विभाग की इस कार्यप्रणाली से पूरे क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश है। वर्ष 1976 में कई किसानों को पट्टे पर जमीन दी गई थी, लेकिन अब तक उन्हें स्थायी पट्टा नहीं दिया गया। जब वे स्थायी पट्टा मांगते हैं, तो वन विभाग के कर्मचारी उन्हें धमकाते हैं और कहते हैं कि उनका पट्टा निरस्त कर दिया जाएगा। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग उनकी जमीन पर जबरन पौधरोपण कर उसे अपने कब्जे में ले लेता है।
वन विभाग की इन नीतियों से आदिवासी किसान मानसिक रूप से परेशान हैं। उन्हें उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी भी नहीं दी जाती। इस मौके पर जयस नेता महेश उइके, राहुल कासदे, छत्रपाल उइके, नीलेश परते, शंकर धुर्वे, बिसन उइके, उमेश धुर्वे सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे। उन्होंने मांग की है कि वन विभाग तुरंत इस अन्याय को रोके और आदिवासी किसानों को उनकी जमीन पर खेती करने का हक दिया जाए।

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