MP News: सारणी पावर प्लांट में कबाड़ की चोरी में सीएचपी प्रभारी को क्यों मिल रहा अभयदान
सारणी पावर प्लांट में तीन दशक से पदस्थ हैं सीएचपी प्रभारी, एमडी के करीबी होने का उठा रहे फायदा
MP News: MPPGCL: सारणी। मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के सारणी में स्थित सतपुडा ताप विद्युत गृह में कबाड़ की चोरी का मामला शक्ति भवन की मुसीबत का कारण बन रहा है। सुनियोजित तरीके से पावर प्लांट का कबाड़ चोरी कराने में जैसे–जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे–वैसे कारवाई भी की जा रही है। इस सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस सीएचपी में घोटाला हुआ, कबाड़ की चोरी कराई जाती रही, उसके प्रभारी को आंच तक नहीं आने दी जा रही है। जबकि सीएचपी के तीन कर्मचारियों और एक सुरक्षा उप निरीक्षक को तत्काल दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया गया था। सीएचपी का जो मुख्य मालिक है उसे आज तक क्यों और किसके इशारे पर बचाए रखा जा रहा है ? यह सवाल पूरी पावर जनरेटिंग कंपनी में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि सवाल करने वाले इसका उत्तर भी दे रहे हैं कि सीएचपी के प्रभारी का कंपनी के एमडी से याराना है। अब इसमें कितनी सच्चाई है यह तो जांच करने वाले या फिर जीरो टॉलरेंस का हव्वा बनाने वाली बीजेपी की सरकार में बैठे नेता या पदाधिकारी ही जानते होंगे।

बहरहाल कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी) में हुए स्क्रैप कांड में सीएचपी प्रभारी को एमडी के करीबी होने का पूरा फायदा मिल रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इस मामले से जुड़े डीई से एई तक सभी पर जांच उपरांत निलंबन और स्थानांतरण की कार्रवाई कर दी गई है। लेकिन सीएचपी के प्रभारी पर आंच तक नहीं आई। जबकि साल 2019 और साल 2023 में सामने आई गड़बड़ी के वक्त यही प्रभारी रहे। बावजूद इसके इन पर कार्रवाई नहीं होना ऊंची पहुँच और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के करीबी होने की ओर इशारा कर रहा है। आश्चर्य की बात है कि सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी में जब से एसएन सिंह ने ज्वाइनिंग ली है। तब से उनका यहां से कहीं भी तबादला नहीं हुआ। खास बात यह है कि इन्होंने यहां ज्यादातर नौकरी कोल हैंडलिंग प्लांट और बीएमडी में की है। फिर भी सीएचपी में होने वाली गड़बड़ी की इन्हें जानकारी नहीं होना आश्चर्य का विषय है। इसीलिए इन्हें भी कार्रवाई से दूर नहीं रखना चाहिए। हालांकि इस मामले में एमपीपीजीसीएल के एमडी मंजीत सिंह ने मीडिया से चर्चा में कहा है कि कंपनी की सभी चीजें मेरी नॉलेज में हैं।जांच मैं कर रहा हूं। मुझे जो उचित लगेगा कार्रवाई करूंगा।
निलंबन के बाद अब तबादलों की गाज
बहुचर्चित स्क्रैप कांड में रोज खुलासे हो रहे हैं। जैसे जैसे खुलासे हो रहे हैं। वैसे वैसे कार्रवाई का दायरा भी बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, मामले में नए मोड़ भी आ रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी की कार्रवाई से अभियंताओं में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल स्क्रैप का वेट करने वाले तौल कांटे में सामने आई गड़बड़ी ने पॉवर हाउस सारनी प्रबंधन से लेकर मुख्यालय जबलपुर तक अधिकारियों को अचरज में डाल दिया। कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सभी यह सोच में पड़ गए हैं कि क्या ऐसा भी संभव है। गड़बड़ी सामने आते ही मुख्यालय जबलपुर से गठित 7 सदस्यी टीम द्वारा दो दिनों तक जांच की। टीम के सारनी में रहते ही 4 बिजली कर्मियों को पॉवर हाउस प्रबंधन द्वारा सस्पेंड कर दिया गया। वहीं सीएचपी के डीई त्रिपाठी को सीई ऑफिस अटैच कर दिया। इस कार्रवाई के अगले ही दिन यानी कि जांच टीम के मुख्यालय पहुँचते ही दो और अभियंताओं को सस्पेंड कर दिया गया। रात होते तक खबर आई कि सुरक्षा अधिकारी वीके कनोजिया का सारनी से स्थानांतरण कर दिया गया। जबकि सारनी का कार्यभार एसके राघव को सौंप दिया गया। इसी तरह सस्पेंड किए गए सहायक अभियंता से लेकर सीएचपीके अभियंताओं को मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी द्वारा अलग-अलग स्थानों पर तबादला कर दिया गया। यह आदेश पावर हाउस सारणी में पहुंचते ही अभियंताओं में हड़कंप मच गया।
क्या है पूरा मामला, यहां समझें
पॉवर हाउस के सीएचपी तौल कांटा है। यहां स्टोर से भरे स्क्रैप का मयवाहन तौल हुआ। ट्रक क्रमांक-केए01-एएच 7710 का वजन 6310 किलोग्राम था। जबकि इसमें 9750 किलोग्राम स्क्रैप भरा। अब ट्रक का कुल भार 16060 किलोग्राम हुआ। यही वजह तौल कांटे पर आया। जिसकी बिल्टी पर संबधित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर कर ट्रक को बाहर किया। भार होने के बाद ट्रक पॉवर हाउस के गेट नंबर 7 पर पहुचा। जहां ट्रक में भार की स्थिति संदिग्ध प्रतीत हुई। जिसका दोबारा वजन कराने पर तीन अलग-अलग कांटों पर ट्रक का भार 16060 के स्थान पर 29 टन से ज्यादा आया। इससे स्पष्ट हो गया कि तौल कांटे नियंत्रित कर अधिक वजन को भी कम कर कंपनी के साथ हेराफेरी की जा रही थी। इसके बाद ही कार्रवाई और तबादलों का सिलसिला शुरू हुआ।
ऐसे हुआ खुलासा
हमेशा की तरह इस बार भी प्लांट के स्क्रैप का टेंडर हुआ। जो कर्नाटक की भारत स्टील ट्रेडर्स कंपनी को मिला। इस कंपनी ने बहुत ही कम दर पर काम लिया। इतनी कम दर पर काम लोकल के ठेकेदार भी नहीं कर पा रहे थे। टेंडर मिलते ही कंपनी द्वारा एक पखवाड़ा पहले काम शुरू किया। 21 मार्च को ट्रक क्रमांक-केए01-एएच 7710 में स्क्रैप लोड कर कांटे पर तौल हुआ। 6 चके ट्रक में स्क्रैप लोड कर जैसे ही 7 नंबर गेट पर लाया। वैसे ही लोकल के ठेकेदार की ट्रक पर नजर पड़ी। संदेह होने पर इसकी शिकायत बैतूल और सारनी थाने में कई गई। टीआई ने मामले को गंभीरता से लेकर जांच कराई तो 16 टन के बजाय ट्रक में 29 टन भार निकला। इसकी पुष्टि के लिए टीआई द्वारा पहले डब्ल्यूसीएल तौल कांटा, फिर प्राइवेट तौल कांटा पर वजन कराया। आखिरी में सीएचपी में भार कराया। यहां भी 29 टन ही भार निकला और इस तरह मामले का खुलासा हुआ।
स्क्रैप कांड में अब आया नया मोड़ –
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्नाटक की भारत स्टील ट्रेडर्स कंपनी को कम दर पर काम दिलाना। फिर लोकल के ही व्यक्ति के जरिए हेराफेरी कराकर कंपनी को लाखों, करोड़ों की चपत लगाई जा रही थी। बहरहाल इस मामले में उक्त अधिकारी को कंपनी ने चलता कर दिया। लेकिन इसके पीछे के मास्टर माइंड की भूमिका अभी भी संदेहास्पद है। अब देखना यह है कि पुलिस और पॉवर हाउस प्रबंधन कार्रवाई करती है या फिर अभयदान देकर मामले को रफादफा कर देगी। दरअसल इस स्क्रैप कांड में उक्त अधिकारी और व्यक्ति की सीधी एंट्री से नया मोड़ आ गया है