हल्दी-कुमकुम में पौधों की भेंट के साथ दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
साहू समाज के ऐतिहासिक हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम में 300 से अधिक महिलाओं की भागीदारी
समाजसेवी दीपाली निलय डागा ने समाज के प्रयासों की सराहना की
नपाध्यक्ष पार्वती बाई बारस्कर ने कहा ऐसे आयोजन समाज को एकजुटता का संदेश देते हैं।
बैतूल। साहू समाज समिति, सदर बाजार बैतूल के तत्वाधान में श्री पद्म शेषनागदेवता मंदिर परिसर में हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में 300 से अधिक मातृशक्ति ने भाग लेकर समाज को एकजुटता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। महिलाओं ने सुहाग सामग्री और पौधों का आदान-प्रदान करते हुए सौभाग्य का आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और प्रसाद वितरण ने आयोजन को और भी खास बना दिया।
यह कार्यक्रम 21 जनवरी को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित किया गया। इस दौरान 300 से अधिक मातृशक्ति ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान गणेश, शिव शंकर, पार्वती माता और पद्म शेषनागदेवता के पूजन के साथ हुआ। इसके बाद साहू समाज की सभी मातृशक्ति का स्वागत और अभिनंदन किया गया। महिलाओं ने एक-दूसरे को सुहाग की सामग्री भेंट की और पौधे देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। सौभाग्य का आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि पार्वती बारसकर, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद बैतूल और विशेष अतिथि दीपाली निलय डागा उपस्थित रहीं। पार्वती बारस्कर ने अपने उद्बोधन में साहू समाज के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन समाज को एकजुटता का संदेश देते हैं। दीपाली निलय डागा ने भी समाज के प्रयासों की तारीफ की और ऐसे आयोजनों को समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम में रश्मि साहू, पदमा साहू, वंदना कुंभारे, मीना बोरबन सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित रहीं। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत महिलाओं ने गीत-संगीत प्रस्तुत किए, जिसके बाद प्रसाद वितरण किया गया।
– इनकी रही महत्वपूर्ण भूमिका
साहू समाज की वरिष्ठ और प्रमुख मातृशक्तियों, जिनमें चंद्रकला साहू, अंजू साहू, मीना साहू, गीता साहू, ममता साहू, बबीता साहू, संजना साहू, विमला साहू, प्रमिला साहू, रुक्मणि साहू, दीपिका साहू, ममता कावड़े, दुर्गा साहू डोंहरे आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया। कार्यक्रम का संचालन साहू समाज की सक्रिय कार्यकर्ता मीना साहू ने कुशलतापूर्वक किया। साहू समाज समिति के इस आयोजन को सभी ने सराहा और इसे समाज की एकता और संस्कृति के प्रतीक के रूप में देखा।