Kabirdas Jayanti : कबीरदास जी ने बताए घमंड करने के नुकसान

Kabirdas Jayanti: Kabirdas ji told the disadvantages of pride

कबीर दास जयंती आज 4 जून को मनाई जाएंगी। बीरदास की बातों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं, हमने अपने जीवन में इन बातों को आत्मसात कर लिया तो हम आने वाली सभी समस्याओं से बच सकते हैं। कबीर दास से जुड़ा एक ऐसा किस्सा, जिसमें उन्होंने बताया घमंड करने से कौन कौन से नुकसान हो सकते हैं … कमाल नाम का कबीर दास जी का बेटा था। एक दिन कबीरदास जी कहीं बाहर गए हुए थे, जब वे लौटकर घर आए तो कमाल ने उन्हें बताया कि जब आप यहां घर पर नहीं थे , तब कुछ लोग आपसे मिलने यहां आए थे। उनके साथ एक लड़का था, जो मर चुका था।

मैंने उस मरे हुए लड़के के सामने राम नाम लिया और थोड़ा सा गंगाजल उसके शरीर पर डाल दिया तो वह लड़का जीवित हो गया। ये चमत्कार देखकर सभी लोग जय – जयकार लगाते हुए लौट गए। कबीरदास जी अपने बेटे की ये बातें ध्यान से सुन रहे थे , पूरी बात सुनने के बाद वे हैरान थे । उसी समय कमाल फिर बोला कि आप बहुत दिनों से कह रहे हैं कि आपको तीर्थ यात्रा करनी है तो अब आप जा सकते हैं, यहां काम मैं देख लूंगा । आप चिंता न करें । अपने बेटे की बातें सुनक कबीर दास समझ गए कि उसे घमंड हो गया है । इसने जो साधनाएं की हैं , उनका असर देखकर इसका घमंड जाग गया है। कबीर दास जी ने कमाल को एक चिट्ठी दी और इसे खोलना मत। कबीर जी ने कमाल को चिट्ठी के साथ एक संत के पास भेजा। कमाल अपने पिता के बताए हुए संत के पहुंच गया । संत ने कमाल से ली और उसे खोला। चिट्ठी में लिखा था कि कमाल भयो कपूत , कबीर को कुल गयो डूब। कमाल ने देखा कि उस संत के यहां बीमार लोगों की लाइन लगी हुई है। संत ने गंगाजल लिया और कई लोगों पर एक साथ डाल दिया , सभी लोगों की बीमारियां ठीक हो गई।

ये देखकर कमाल ने सोचा कि ये तो मुझसे भी बड़े चमत्कारी हैं । दरअसल , वे संत थे सूरदास जी, सूरदास जी ने कमाल से बातचीत की और फिर कहा कि जाओ पीछे नदी में एक युवक डूब रहा है, उसे बचो लो। कमाल तुरंत नदी की ओर गया तो देखा कि वहां एक लड़का डूब रहा है, कमाल तुरंत नदी में उतरा और उसे बचा लिया। लड़के को बचाकर कमाल सूरदास जी के पास लौट आया। उसने देखा कि सूरदास जी तो देख ही नहीं सकते , मेरे पिता का पत्र भी नहीं पढ़ सकते, मैंने इन्हें जो बताया वह ठीक है , लेकिन मेरे बारे में ये सबकुछ कैसे जान गए। जब कमाल ने अपने पिता का लिखा पत्र पढ़ा तो वह समझ गया कि मेरे पिता ने मेरा अहंकार दूर करने के लिए मुझे यहां भेजा है ।

सिद्धि , साधनाएं, योग्यता अनेक लोगों के पास हैं, लेकिन अपनी विद्याओं का गलत उपयोग नहीं करते हैं। कबीर दास जी की सीख इस किस्से का संदेश ये है कि हमें अपनी योग्यता का घमंड नहीं करना चाहिए। सभी लोगों की योग्यताएं अलग -अलग हैं। जब हम अपनी योग्यता का गलत उपयोग करते हैं , घमंड करते हैं तो योग्यता, विद्या का असर खत्म हो जाता है। योग्यता का सही उपयोग करेंगे तो जीवन में सुख – शांति बनी रहेगी।

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