Geeta:गीता ज्ञान का दिव्य प्रकाश हमारे जीवन को बनाता है अलौकिक: मधु चौहान
फल की लालसा करे बिना कर्म करने की शिक्षा देती है गीता: आजाद
बैतूल। भगवान श्री कृष्ण ने रणभूमि में अर्जुन को ज्ञानबोध कराया वही शब्द रूप में गीता है। इसमें कुल अठारह अध्याय और सात सौ श्लोक है। सभी अध्याय का अपना अलग अलग महत्व है। श्री गीता उपनिषदों का सार है।गीता ज्ञान मनुष्य के जीवन की सभी कठिनाइयों को आसान बनाता है। उक्त विचार मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद आठनेर की विकासखंड समन्वयक मधु चौहान ने मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम की कक्षा में उपस्थित छात्र-छात्राओं के समक्ष रखे। उन्होंने आगे बताया कि श्रीनारायण क्षीरसागर में विश्राम करते हुए लक्ष्मी जी से कहते हैं कि श्री गीताजी के पांच अध्याय मेरे मुख है, दस अध्याय मेरी भुजा हैं, सोलहवां अध्याय मेरा हृदय और मन और मेरा उदर है, सत्रहवां अध्याय मेरी जंघा है, अठारहवां अध्याय मेरे चरण हैं। गीता श्लोक ही मेरी नाड़ियां हैं और जो गीता के अक्षर है वो मेरा रोम हैं। अतः हमें श्री गीता का नियमित अध्ययन करके उसकी सीख जीवन में अमल में लाना चाहिए। गीता ज्ञान का दिव्य प्रकाश हमारे जीवन को अलौकिक बनाता है। नवांकुर संस्था नगर विकास प्रस्फुटन समिति आठनेर के अध्यक्ष कैलाश आजाद ने कहा कि गीता कर्म करने का उपदेश देती है। हमें फल की चिंता किए बगैर अच्छे कर्म करते रहना चाहिए। उद्बोधन के बाद सामूहिक रूप से गीता के बारहवे अध्याय का पाठ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से परामर्शदाता गोवर्धन राने, आशुतोष सिंह चौहान, सतीश ठाकरे, दिनेश साकरे, रूपाली पांसे बरखेड, नवांकुर संस्था से देवीदास गावंडे सहित मुख्यमंत्री सामुद्रिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के छात्र-छात्राए उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन भागवत भगवान की आरती, प्रसाद वितरण एवं गीता ज्ञान के उपदेशों को जीवन में उतारने के संकल्प के साथ किया गया।