Betul News : आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले क्लीनिक खोलकर एलोपैथी में कर रहे इलाज

Those studying Ayurveda are doing treatment in allopathy by opening clinics

स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा किए निरीक्षण में खुली पोल, एक्सपायरी डेट की दवाएं भी बरामद


बैतूल। जिले में प्रशासन की नाकामी का एक और नमूना सामने आया है।गली-कूचे में क्लीनिक खोलने की अनुमति देने के बाद किसी ने कभी पलटकर भी नही देखा। यही कारण है कि आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले एलोपैथी में उपचार कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के निरीक्षण दल द्वारा गुरुवार को शहरी क्षेत्र बैतूल के निजी क्लीनिकों का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में मिली खामियों के आधार पर चार निजी क्लीनिक संचालकों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेश कुमार बौद्ध से प्राप्त जानकारी के अनुसार निरीक्षण दल की जांच के दौरान डॉ. ऋषि खाकरे रुकमणी मेडिकल एवं प्राथमिक चिकित्सा विकास नगर बैतूल द्वारा एलोपैथी पद्धति से मरीजों को उपचारित करना पाया गया। इनके क्लीनिक से एलोपैथिक दवाइयां भी प्राप्त हुई, जबकि इनके पास डिग्री ना होकर डिप्लोमा इन आयुर्वेद मेडिकल साइंस है। इन्होंने अपना डिग्री एवं रजिस्ट्रेशन प्रदर्शित भी नहीं किया था। इनके द्वारा क्लीनिक में किसी प्रकार की रेट लिस्ट भी नहीं लगाई गई।
संचालक के बजाय कर्मचारी संचालित कर रहे दवा दुकान:
क्लीनिक में संचालित मेडिकल स्टोर संचालक विगत 15 दिवसों से अनुपस्थित पाया गया एवं महिला कर्मचारी द्वारा स्टोर संचालित करना पाया गया, जिनके पास फार्मासिस्ट की डिग्री नहीं थी। इनके द्वारा किसी भी प्रकार का नियुक्ति पत्र किसी भी कर्मचारी को भी नहीं दिया गया है और ना ही कर्मचारियों से संबंधित उनके डिग्री, दस्तावेज आदि को संधारित किया गया है। क्लीनिक में कोई भी कर्मचारी डिग्री धारी नहीं पाया गया एवं ना ही मरीजों का ओपीडी रजिस्टर संधारित किया जाना पाया गया। डॉ. देवेंद्र चौरे संचालक जानकी हेल्थ केयर बैतूल को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया कि इनके द्वारा एलोपैथिक पद्धति से मरीजों को उपचारित करना पाया गया एवं क्लीनिक से एलोपैथिक दवाइयां भी प्राप्त हुई। इनके द्वारा किसी प्रकार की डिग्री एवं रजिस्ट्रेशन प्रदर्शित नहीं किया गया एवं ना ही रेट लिस्ट क्लीनिक में लगाई गई।

पंजीयन खत्म होने पर भी धड़ल्ले से चल रहा क्लीिनिक:

डॉ. दीपक कुमार निंबोलकर संचालक वेदिका क्लीनिक बडोरा को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया कि उनका पंजीयन वर्ष 2015 में समाप्त हो गया परंतु आज दिनांक तक पंजीयन का रिन्यूअल नहीं कराया गया। इनके क्लीनिक से प्राप्त मरीजों के पर्चो पर एलोपैथी दवाइयां लिखा होना पाया गया। एलोपैथी पद्धति से मरीजों को उपचारित करना पाया जाने के साथ एलोपैथिक दवाइयां भी प्राप्त हुईं जिसमें से 3 दवाइयां एक्सपायरी भी पाई गईं। इनके द्वारा अपनी डिग्री एवं रजिस्ट्रेशन प्रदर्शित नहीं किया गया एवं ना ही किसी प्रकार की रेट लिस्ट क्लीनिक में लगाई गई।

बिना पंजीयन के चल रहा क्लीनिक:

बनकर क्लीनिक के संचालक डॉ. बनकर को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया कि इनका क्लीनिक बंद पाया गया एवं संज्ञान में आया कि इनका क्लीनिक बगैर किसी पंजीयन के संचालित किया जा रहा है।
सीएमएचओ द्वारा उक्त निजी क्लीनिक संचालकों से पत्र प्राप्ति के 48 घंटे के भीतर तथ्यात्मक जानकारी सहित जवाब चाहा गया है। समयावधि में जवाब प्राप्त न होने या प्रस्तुत जवाब संतोषजनक न होने की दशा में नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाने की बात कारण बताओ सूचना पत्र में स्पष्ट उल्लेखित की गई है। उन्होंने बताया कि सक्षम एवं मान्य डिग्री के साथ सम्बंधित पैथी के अतिरिक्त किसी अन्य पैथी में उपचार दिए जाने चिकित्सकों एवं फर्जी डिग्री वाले चिकित्सकों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। संपूर्ण जिले में इस प्रकार की कार्यवाही सतत जारी रहेगी। निरीक्षण दल में डीएसओ डॉ. राजेश परिहार, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपेश पद्माकर, जिला मीडिया अधिकारी श्रुति गौर तोमर, फार्मासिस्ट छर्मेंद्र भूमरकर शामिल रहे।

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