Betul News : वन अधिकार कानून 2006 के तहत आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने पर किया मंथन

Betul News: Under Forest Rights Act 2006, brainstormed on getting tribals their rights

बैतूल। आदिवासी मंगल भवन भैंसदेही में शनिवार को एकता परिषद के तत्वाधान में वन भूमि आजीविका के अधिकारों के लिए एक दिवसीय जन वकालत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जयस के प्रदेश संयोजक जामवन्त कुमरे व एकता परिषद राष्ट्रीय महासचिव अनीश थिलेनकेरी उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एकता परिषद राष्ट्रीय महासचिव अनीश थिलेनकेरी ने बताया कि वन कानून आदिवासी वंचित समुदाय के हक में बना है, इसके बावजूद आदिवासियों को ही जंगलो से बेदखल किया जाता है, उन्हे उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है। एकता परिषद संगठन वंचित समुदाय के लिए हमेशा संघर्ष करता है।

मुख्य अतिथि जामवन्त कुमरे जयस प्रदेश संयोजक ने बताया वनमंडल के अंतर्गत आने वाले वनग्राम नियम 1977 के तहत बैतूल जिले के 92 वनग्रामो में प्रत्येक आदिवासी को 12.3553 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी उसे वर्ष 1997 में नवीनीकृत किये गये पट्टो के आधार पर 1.4085 एकड़ कर दी गई जो 1.5 एकड़ से भी कम है, वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत आदिवासियों के अधिकारों का हनन है, उन्हें कानून के अनुरूप पूरी जमीन का पट्टा नहीं दिया गया है।


वन अधिकार कानून 2006 की धारा 3(1) (1) के तहत आदिवासी गाँवो में सामुदायिक अधिकार दिये जाये। वनविभाग द्वारा लघु वनोपज से प्राप्त राशि का शुद्ध लाभ पंचायत ग्राम सभा को सौंपा जाये। कार्यक्रम का संचालन कर रहे जिला समन्वयक भरत सरियाम ने बताया कि जिले मे एकता परिषद पिछले 2 वर्षो से जल जंगल जमीन के मुद्दों पर सघन रूप से कार्य कर रहा है। आज भी क्षेत्र में कई लोग वन अधिकार पत्र से वंचित है। जन वकालत के माध्यम से उन्होंने मांग करते हुए कहा वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 3(1)(ए) के तहत वनों पर काबिज आदिवासी एवं परम्परागत वनवासीयों को व्यक्तिगत अधिकार पत्र (पट्टे) दिये जाये। वन अधिकार कानून के तहत दावा आवेदन करने एवं पूर्व में दिये गये आवेदनों को पुनः जांच करने 26 जनवरी को होने वाली ग्रामसभा में वन अधिकार दावा आवेदन की जांच एवं आवेदन करने के लिये जिले की समस्त पंचायतो मे वन अधिकार का एजेंडा दिया जाये।

जन वकालत में अतिथियों ने बताया कि आदिवासियों को पूर्व में राजस्व भूमि के पट्टे मिले थे, उन आदिवासियों की जमीने पर दबंगों के कब्जे है, उन आदिवासियों की जमीन से धारा 170 क, ख के तहत कार्यवाही कर आदिवासी को मौके पर भूमि का स्वामित्व दिया जाये। वन भूमि के मिले पट्टे धारको को सुनिश्चित आजीविका के लिये जमीन के विकास के अतिरिक्त सिंचाई साधन, बीज, बकरी पालन, मछली पालन, मुर्गीपालन गौपालन में प्राथमिकता के आधार पर सहायता दी जाये। कार्यक्रम में रायसेन से पहुंची सरस्वती उइके ने भी कहा कि पूरे प्रदेश में आज भी गरीब आदिवासी अपने अधिकार के लिये दर दर की ठोकरे खा रहा है जिसके लिए हमें बड़ी लड़ाई लड़ने की जरूरत है।

एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर की यह मांग

कार्यक्रम के बाद एकता परिषद ने विभिन्न मुद्दों को लेकर एसडीएम रीता डेहरिया को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने शासकीय महाविद्यालय भैंसदेही का नामकरण जंगल सत्याग्रह के महानायक राम जी भाऊ कोरकू के नाम करने की मांग की। वहीं नगरीय सीमा में शामिल वन भूमि पर अधिकार सहित निस्तार पत्रक एवं दर्ज भूमियों का पंचायतों को अंतर्निहित करने की मांग की। इसके अलावा राजपत्र में डिनोटिफाइड भूमियों का वितरण, लघु वनोपज पर समाज के अधिकार मिल सके। ज्ञापन सौंपने वालों में मंगल मूर्ति वाडिवा, प्रेम सरियाम, अमृतलाल सरियाम, मुकेश उइके, सोनू पांसे, राजा भलावी, तुलसीराम उइके, प्रह्लाद धुर्वे, अमित इडपाचे सहित एकता परिषद के कार्यकर्ता मौजूद थे।

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