गफलत का शिकार हो रही लाड़ली बहनें, प्रशासन मदद करने में नाकाम

लोक सेवा केंद्र पर लगी भीड़
बैतूल। प्रदेश में पांच मार्च से लागू होने वाली लाड़ली बहना योजना शुरुआती चरण में ही गफलत का शिकार हो रही है। प्रशासन के द्वारा लाड़ली बहनों की मदद करने में नाकाम हो रहा है। हालत यह है कि योजना की पूरी जानकारी के अभाव में महिलाओं की भीड़ आय और मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोक सेवा केंद्रों पर उमड़ रही।  सुबह से शाम तक महिलाएं अपने दस्तावेज संभालते हुए लोक सेवा केन्द्र के सामने परेशान होती नजर आ रही हैं। जबकि योजना में इन दस्तावेजों की जरूरत ही नहीं है। बीते एक सप्ताह में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए  महिलाओं ने बड़ी संख्या में आवेदन किए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब एक पखवाड़े पहले इस योजना की घोषणा करते हुए महिलाओं के खातों में प्रति माह एक हजार रुपये जमा कराने की बात कही थी, लेकिन तब योजना का प्रारूप तय नहीं हुआ था। जब महिलाएं इस योजना में लगने वाले दस्तावेजों की जानकारी लेने आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचने लगीं तो आंगनबाड़ी कार्यकताओं ने भी बिना जानकारी के उन्हें दस्तावेजों की लिस्ट पकड़ा दी, जिसमें आय, जाति, मूल निवासी प्रमाणपत्र के अलावा पैन कार्ड बनवाना भी शामिल था। एक हजार रुपये महीना पाने के लिए महिलाएं दस्तावेज तैयार करने में जुट गईं। इसकी वजह से लोक सेवा केंद्रों में भोप अतिरिक्त बोझ बढ़ गया।
प्रशासन स्पष्ट नही कर पा रहा–
जिले में प्रशासन की भूमिका डाकिया जैसी हो गई है। शासन के आदेश सीधे जारी कर दिए जाते हैं। जबकि जिले में क्या स्थिति है इसका आंकलन करने के बाद उसके अनुसार योजनाबद्ध तरीके से काम होना चाहिए। यहां तो महिला बाल विकास विभाग की बैठक लेकर शासन के निर्देश गिना दिए गए। बाहर क्या चल रहा है उसे ना तो देखने की जरूरत समझी जा रही है और ना बदलाव किया जा रहा है।
 योजना का प्रभावी क्रियान्वयन हो- कलेक्टर
कलेक्टर  बैंस ने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए महिला बाल विकास विभाग के आफसरो को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि 23 से 60 वर्ष की सभी पात्र महिलाओं के आधार, समग्र, ई-केवायसी एवं आधार इनेबल्ड बैंक खाते खुलवाए जाएं। साथ ही लाड़ली लक्ष्मी योजनांतर्गत जिन लाड़लियों को छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान नहीं हुआ है, उनका सत्यापन कर शीघ्र ही राशि का भुगतान कराया जाना सुनिश्चित करें।

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