Banned and Exempted Games : नलकूप खनन पर बैन और छूट के खेल में किसका फायदा ?

प्रशासन से किसानों का सवाल, खेतों में फसल कटाई हुई नहीं तो कैसे करा लें नलकूप

Banned and Exempted Games : बैतूल जिले में प्रशासन द्वारा मार्च माह की शुरुआत में नलकूप खनन पर अचानक बैन लगा दिया गया। यह निर्णय तब लिया गया जब ना तो जल संकट था और ना ही जल स्तर नीचे जाने की कोई स्पष्ट स्थिति थी। खेतों में फसलें खड़ी थीं और किसानों को सिंचाई की आवश्यकता थी, लेकिन प्रशासन ने बिना किसी ठोस कारण के नलकूप खनन पर रोक लगा दी। जैसे ही इस फैसले का विरोध बढ़ा, प्रशासन ने पहले 10 दिन की छूट दी और फिर इसे बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया। हालांकि, इस तारीख को तय करने में भी कोई तार्किकता नहीं दिखी, क्योंकि 31 मार्च के बाद फसल कटाई का समय शुरू हो जाता है और किसानों को उस समय पानी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है।

बोरिंग मशीनों के संचालकों की मनमानी

प्रशासन के इस फैसले से बोरिंग मशीनों के संचालकों को खूब लाभ हुआ। नलकूप खनन पर प्रतिबंध और सीमित समय की छूट के कारण किसानों में जल्दबाजी देखने को मिली। इसका फायदा उठाते हुए बोरिंग मशीनों के संचालकों ने अपनी दरें बढ़ा दीं। पहले जहां 90 रुपये प्रति फीट की दर थी, वहीं अब किसानों से 130 से 140 रुपये प्रति फीट तक वसूले जा रहे हैं। किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर ये संचालक मनमाने तरीके से उगाही कर रहे हैं। प्रशासन और नेता इस स्थिति को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं।

प्रशासन की नीतियों पर सवाल…………………………………….

प्रशासन द्वारा नलकूप खनन पर बैन और फिर छूट देने के फैसले के पीछे कई सवाल खड़े होते हैं:

1. नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाने की इतनी जल्दी क्यों थी?

2. छूट देने का फैसला किसके दबाव में लिया गया?

3. जब खेतों में अभी फसल कटाई नहीं हुई थी, तो इस छूट का वास्तविक लाभ किसानों को कैसे मिलेगा?

4. बैन लगने के बावजूद अगर बोरिंग मशीनों के संचालक मनमानी कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा?

5. जिन किसानों के खेत में पानी नहीं है, उन्हें नलकूप खनन की अनुमति कैसे मिलेगी, इसकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की गई?

6. क्या यह पूरा खेल बोरिंग माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए खेला गया?

 

किसानों के लिए संकट, बोरिंग माफिया की चांदी

इस फैसले का सबसे अधिक नुकसान किसानों को हो रहा है। फसल कटाई के समय जब किसानों को पानी की आवश्यकता होगी, तब नलकूप खनन पर रोक लग जाएगी। ऐसे में किसान या तो महंगे दामों में बोरिंग करवाने के लिए मजबूर होंगे या फिर पानी के अभाव में फसल खराब होने का जोखिम उठाएंगे। दूसरी ओर, बोरिंग मशीनों के संचालकों की चांदी हो रही है और प्रशासन इस स्थिति को मूकदर्शक बनकर देख रहा है।

सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी

प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नलकूप खनन पर बैन लगाने या छूट देने के निर्णय ले। यदि जल संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है, तो बैन लगाने की कोई तुक नहीं बनती। साथ ही, यदि किसी कारणवश बैन लगाया भी जाता है तो किसानों को इसकी स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए कि वे किस प्रक्रिया से नलकूप खनन की अनुमति प्राप्त कर सकते हैं। बैतूल जिले में नलकूप खनन पर बैन और फिर छूट देने की प्रक्रिया से यह साफ होता है कि प्रशासन ने बिना किसी ठोस योजना के यह कदम उठाया है। इस फैसले से किसानों की परेशानी बढ़ी है और बोरिंग माफिया को लाभ हुआ है। प्रशासन को इस स्थिति का संज्ञान लेकर जल्द से जल्द उचित समाधान निकालना चाहिए, ताकि किसानों को राहत मिल सके और वे अपनी फसल की सिंचाई सुचारू रूप से कर सकें।

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