101 पार्थिव शिवलिंगों के सामूहिक अभिषेक से शिवमय हुआ विश्वकर्मा मंदिर

वैदिक मंत्रों और हर हर महादेव के जयघोष के साथ भक्तों ने किया पार्थिव शिवलिंग का पूजन

बैतूल। श्रावण मास के पावन अवसर पर सोमवार 21 जुलाई को शिवभक्ति की निर्झरिणी बैतूल गंज स्थित विश्वकर्मा मंदिर में उमड़ पड़ी। जब एक सौ एक पार्थिव शिवलिंगों पर वैदिक मंत्रों के साथ अभिषेक प्रारंभ हुआ, तो समूचा परिसर दिव्य ऊर्जा से आलोकित हो उठा। हर हर महादेव के गगनभेदी जयकारों के बीच भक्तिभाव से ओतप्रोत श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से भगवान भोलेनाथ का पूजन-अभिषेक कर अध्यात्म की अविरल धारा में डुबकी लगाई। यह आयोजन भक्ति, सेवा और समाजिक समर्पण का अनुपम संगम बना, जिसमें महिला मंडल, युवा मंच और समाज समिति की भूमिका उल्लेखनीय रही।

महारुद्राभिषेक सुबह 10 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्रारंभ हुआ। इस पूजन-अभिषेक कार्यक्रम में विधिविधान से 101 पार्थिव शिवलिंगों का पूजन कर श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का आह्वान किया।

– सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने एक साथ किया अभिषेक

दिन भर चली पूजा प्रक्रिया में शाम 4 बजे अभिषेक के उपरांत महाआरती संपन्न हुई। इस दिव्य आयोजन में सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने एक साथ बैठकर सामूहिक पूजन-अभिषेक कर गूंजते हर हर महादेव के जयकारों से पूरा मंदिर प्रांगण शिवमय कर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महिलामंडल की अध्यक्ष अर्चना बल्लू मालवी के साथ जीविका युवराज मालवी, पुष्पा शशिकांत मालवी, कमल बलराम, अंजनी गोवर्धन, उन्नति जितेंद्र मालवी (वेदिका फर्नीचर), ज्योति धर्मराज, गायत्री गणेश, ममता विवेक, ममता मधुकर, मीनाक्षी हरीश, विमला लक्ष्मीनारायण, सुषमा सुभाष, कांता सी एल, सुनीता शिवदयाल, सुनीता बलवीर, कविता कमल (महदगांव) आदि का विशेष योगदान रहा।

– आयोजन में इनकी रही सक्रिय सहभागिता 

युवा मंच से संतोष मालवी (बडोरा), रवि मालवी, मनोज मालवी, लोकेश, नितेश बंटी तथा समाज समिति के अध्यक्ष गणेश मालवी, शशिकांत मालवी, हर्ष मालवी, विवेक गुड्डू, देवकुमार, प्रशांत मालवी, विष्णुकांत मालवी, वीरेन्द्र मालवी, मंगल मालवी, शिवकिशोर मालवी, सुखदेव मालवी और बलवीर मालवी ने समर्पण भाव से आयोजन में सक्रिय सहभागिता निभाई।

पूरे आयोजन के अंत में समाज समिति, महिलामंडल और युवा मंच के पदाधिकारियों ने श्रद्धालुओं का धन्यवाद व्यक्त करते हुए आगामी आयोजनों में भी इसी उत्साह और सहभागिता की कामना की। यह धार्मिक अनुष्ठान समाज में एकता, श्रद्धा और सेवा का जीवंत उदाहरण भी बना।

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