कानफोडू शोर: गूंगी आवाम, बहरा प्रशासन और अंधे जनप्रतिनिधि…

मरीज की परवाह नहीं। बरात पहले निकलेगी।
बैतूल। जिस शहर में आवाम गूंगी हो ,प्रशासन बहरा हो जाए या बहरा होने का नाटक करे , जनप्रतिनिधि निष्क्रियता के आदी हों …उस शहर का केवल भगवान ही मालिक है । ऐसा ही कुछ इन दिनों बैतूल जिले में देखने को मिल रहा है।  जहां देर रात तक शहर के मैरिज लॉन और सड़कों पर डीजे के शोर से लोगों के कलेजे कांप रहे हैं। स्कूली बच्चों की बोर्ड परीक्षाए सामने हैं। वे पढ़ाई के लिए अच्छा शांत माहौल चाहते हैं । बच्चों के परिजन वैसे ही परेशान रहते हैं कि बच्चों को पढ़ने के लिए कैसे तैयार करें । लेकिन इस बीच शहर में अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर देर रात तक जो ध्वनि  प्रदूषण हो रहा है वो कहीं बच्चों की मेहनत पर पानी ना फेर दे ।
शहर में चक्कर रोड में सबसे ज्यादा मैरिज लॉन हैं । वहीं लिंक रोड ,इटारसी रोड ,कॉलेज रोड , रानीपुर रोड और बडोरा के आसपास भी वैध अवैध मैरिज लॉन खुले हुए हैं जहां इन दिनों देर रात तक डीजे और ऑर्केस्ट्रा के शोर शराबे में ना तो बच्चों की पढ़ाई हो रही है और ना कामकाजी लोग समय पर नींद ले पा रहे हैं । डीजे का साउंड भी निर्धारित मापदंडों के अनुसार नहीं बजाया जा रहा ।  बाराती भी बारात लेकर अगर शाम सात बजे निकले तो महज 500 या 800 मीटर तक जाने में उन्हें रात के 11 या 12 बजे तक का समय लग जाता है । इस दौरान जो कानफाड़ू डीजे है वो बर्दाश्त के बाहर होता है । खैर जिसके घर शादी है वो तो दूसरे की समस्या शायद ही समझ सकेगा लेकिन इनसे ज्यादा दोषी हैं वो लोग जो इस शोर शराबे को दर्शक बनकर चुपचाप झेल रहे हैं । ना कोई विरोध ना शिकायत । हर कोई सोच रहा है कि भगतसिंह पैदा तो हो लेकिन पड़ोसी के घर  ।
इस करेले पर नीम का काम कर रहा है स्थानीय प्रशासन, जो है या नहीं इसका अहसास तक नही हो रहा है क्योंकि  परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए अब तक डीजे और अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के लिए गाइडलाइंस जारी नहीं की है । ना तो समय सीमा तय हो रही है ना ध्वनि के स्तर को लेकर कोई मापदंड निर्धारित किये जा रहे हैं । मालूम नहीं प्रशासन कब इस बारे में सोचेगा और एक्शन लिया जाएगा। तीसरी बात है हमारे जनप्रतिनिधि जो हर शादी ,ब्याह ,मुंडन बारसे में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराने पहुंच जाते हैं लेकिन उन्हें तो घड़ी देखने का समय ही कहाँ मिलता है । क्योंकि नजर केवल आने वाले किसी चुनावी गणित पर रहती है , इसलिए जिसके घर की शादी में गए हैं उसे नियम कायदे बताकर नाराज नहीं कर सकते वरना एक बार मे दो तीन हजार वोटों का नुकसान ।
खुर्राट पत्रकार रिशु कुमार नायडू लिखते हैं कि मुझे ये लिखने में कोई डर या संकोच नहीं है कि आवाम गूंगी हो चुकी है ।
* क्या इस समस्या को उठाना केवल  एक पत्रकार का ही काम या जिम्मेदारी है ???
* क्या आपके बच्चों के इम्तहान नहीं है ???
* क्या आपके घर पर कोई बीमार डीजे की आवाज से परेशान नहीं हो रहा ???
 * क्या सड़कों पर घण्टों जाम लगाकर नाचते लोगों से आपको आवागमन में परेशानी नहीं होती???
* अगर आपको उक्त कोई परेशानी नहीं होती तो शायद आप जीते जी निर्वाण को प्राप्त कर चुके हैं ।
बहरहाल इस कोसने पीटने से कुछ होने जाने वाला नहीं है। आप सबसे विनती है कि अपने बच्चों, घर के बुजुर्गों ,बीमारों,और अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाइये । आप जागेंगे तो हुक्मरानों की नींद अपने आप उड़ जाएगी।
क्योंकि बैतूल जिले में प्रशासन ’ रोम जलता रहा और नीरो बांसुरी बजाता रहा ’ की भूमिका नजर आ रहा है। 

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