literary festival: विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव में शामिल हुए जिले के गोंडी लोक गायक बसंत कवड़े
देश के 1100 से अधिक लेखक और विद्वानों ने लिया हिस्सा, एक ही मंच पर 175 भाषाओं के लेखक-कवि सम्मिलित हुए
बैतूल। रविंद्र भवन नई दिल्ली में आयोजित विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव में जिले के गोंडी लोक गायक बसंत कवड़े ने शामिल होकर बैतूल की लोक संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इस बार के साहित्योत्सव में लगभग 190 सत्र आयोजित हुए। जिनमें कई जाने माने लेखकों-कवियों के साथ कला-संस्कृति की दुनिया के भी कई विशिष्ट ख्यातिनामनाम शामिल हुए। साहित्योत्सव के दौरान 13 मार्च को आदिवासी कवि सम्मेलन का आयोजन चार सत्रों में किया गया। यह जिले के लिए गौरव का विषय है कि एक सत्र की अध्यक्षता गोंडी लोक गायक, साहित्यकार, रचनाकार बसंत कवड़े ने की। इस सत्र में जो कविगण शामिल हुए उन्होंने अपनी क्षेत्रीय बोली, भाषा में कविता पाठ किया। जिसमें भीली भाषा, जब भूमिज भाषा, कई भाषा, माठवाड़ी भाषा सहित हिन्दी और अंग्रेजी में कविता पाठ किया गया। साहित्योत्सव के 11 से 16 मार्च के 6 दिनों में देश के 1100 से अधिक लेखक और विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। इससे पूर्व किसी एक साहित्य उत्सव में लेखकों की इतनी बड़ी भागीदारी कहीं नहीं देखी गयी। साथ ही यह एक ऐसा अद्भुत साहित्योत्सव भी होने जा रहा है जिसमें देश की 175 भाषाओं के लेखकों, कवियों और विद्वानों का प्रतिनिधित्व होगा। यह कार्यक्रम साहित्य अकादमी राष्ट्रीय साहित्य संस्थान नई दिल्ली द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें बैतूल जिले के बसंत कवड़े गोंडी लोक गायक, साहित्यकार रचनाकार ने भाग लेकर गोंडी बोली भाषा में कविता पाठ किया। विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव में भाग लेने पर बसंत कवड़े को साथी कलाकार सुखनंदन आहाके (गायक), बाल किशन उइके जंतूर वादक, जितेश कवड़े गोंडी लोक कलाकार, शंभू कवड़े, संतोष कवड़े, सदन धुर्वे, संगीता धुर्वे गायिका कल्लू सिंग उइके, जन्गू सिंग धुर्वे, योगेश धुर्वे, कमल उइके, श्यामसिंग धुर्वे ने बधाई दी।