सीईओ साहब, पावरझंडा में गबन होता रहा और जिला पंचायत को भनक भी नही लगी.?
सीईओ साहब, पावरझंडा में गबन होता रहा और जिला पंचायत को भनक भी नही लगी.?

– प्रधान मंत्री आवास की राशि हड़पने वालों को किसका संरक्षण, अब तक गिरफ्तार नही किया
बैतूल। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की निगरानी जिले में कैसे हो रही है इसका प्रमाण शाहपुर ब्लाक की पावर झंडा ग्राम पंचायत में हुए 70 लाख रूपये के गबन से मिल रहा है। जिला पंचायत में सीईओ के साथ भारी भरकम अमला मौजूद है और गाहे बगाहे इस अमले के तेज तर्रार होने की ब्रांडिंग भी की जाती है।
इस अमले को पावरझंडा में हो रहे फर्जीवाड़े की भनक भी क्यों नही लगी यह बड़ा सवाल है। लोगों का कहना है कि तेज तर्रार अफसरों ने क्या कभी निगरानी की ही नही, और की थी तो फिर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नजर क्यों नही आया। नजर आया भी था तो तत्काल कारवाई क्यों नही की गई..?
पहले भ्रष्टाचार फिर बचाव की छूट:
जिला पंचायत में सब कुछ उजला दिखाने के लिए अलग अलग स्तर पर ब्रांडिंग का तथाकथित ठेका दिया गया है ऐसा प्रतीत हो रहा है। यही कारण है कि पंचायतों में पहले तो जमकर सरकारी धन को हड़पने की छूट दे दी जाती है।शिकवा शिकायत होती है तो जांच कर दोषी ठहराने का प्रचार, फिर कारवाई करने की ब्रांडिंग हो जाती है। इसके बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
पावर झंडा के घोटाले में भी ऐसा ही हो रहा है। जांच हो गई, पुलिस में मामला दर्ज हो गया, पर अदृश्य शक्ति इसके आगे की कारवाई नही होने दे रही। सवालों के घेरे में जिला पंचायत भी है कि क्यों 50 दिन बीतने पर भी दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। क्या मॉनिटरिंग करने वाले चिन्हित किए गए और नही तो आखिर क्या वजह है।
लोग तो बडोरा ग्राम पंचायत द्वारा मुख्य मार्ग पर बनाए गए नाड़ेफ को कुछ दिन में ‘ खाद ’ होता देखकर जिला पंचायत की वर्किंग, मॉनिटरिंग और जीरो टॉलरेंस की हकीकत समझ रहे हैं।




