Betul News: पसीने से सींचकर पाले पौधों पर पुलिस ने चलवा दी कुल्हाड़ी, हरे भरे पेड़ काटकर उजाड़ी सोनाघाटी की पहाड़ी

सोनाघाटी की पहाड़ी पर पर्यावरण को तगड़ा झटका, सैकड़ों पेड़ों की कटाई से मचा हड़कंप

Betul News: बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की सोनाघाटी की वह पहाड़ी, जो कभी हजारों श्रमदानियों की मेहनत और लगन का प्रतीक थी, आज एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रही है। यह वही पहाड़ी है, जहां श्रमदानियों ने वर्षों तक पसीना बहाकर जल संरक्षण के प्रयास किए थे और पौधारोपण कर उस सूखी और बंजर भूमि को हरियाली से ढक दिया था। लेकिन हाल ही में पुलिस चौकी बनाने के लिए इस पहाड़ी पर सैकड़ों पेड़ों की कटाई कर दी गई है।

श्रमदान का इतिहास:

सोनाघाटी की यह पहाड़ी पहले सूखी और उपेक्षित थी। लगभग एक दशक पहले, स्थानीय निवासियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और श्रमदानियों ने मिलकर तपती धूप में अपना पसीना बहाया और यहां जल संरक्षण के प्रयास किए। खंती बनाई और जल संचयन का काम किया गया और हजारों पौधे लगाए गए। उनकी मेहनत रंग लाई और यह क्षेत्र न केवल हरियाली से ढका, बल्कि आसपास के पर्यावरण में भी सुधार हुआ। यह पहाड़ी पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक बन गई थी।

पुलिस चौकी के लिए पेड़ों की कटाई:

हाल ही में स्थानीय प्रशासन द्वारा यहां एक पुलिस चौकी बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए सैकड़ों पेड़ों को काट दिया गया, जिससे स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी बेहद आहत हैं। यह कार्रवाई न केवल पर्यावरण संरक्षण के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि उन हजारों श्रमदानियों की मेहनत का भी अपमान है जिन्होंने इस क्षेत्र को फिर से जीवित किया था।

पुलिस अधीक्षक से शिकायत

घटना की जानकारी मिलते ही जल गंगा संवर्धन अभियान चलाने वाले जल पुरुष एवं जन अभियान परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन नागर ने  बैतूल के पुलिस अधीक्षक से बात की। उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

स्थानीय जनता में आक्रोश

पुलिस चौकी बनाने के लिए सैकड़ों पेड़ों की बलि चढ़ाने से स्थानीय जनता में भारी रोष है। लोग मांग कर रहे हैं कि इस तरह के विकास कार्यों के लिए वैकल्पिक स्थान चुना जाए, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

पर्यावरणीय प्रभाव पड़ेगा

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटाई से क्षेत्र की जैव विविधता पर बुरा असर पड़ेगा। यहां का वन क्षेत्र छोटे-छोटे वन्यजीवों और पक्षियों का घर है। इसके अलावा, यह क्षेत्र जलवायु संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

जिम्मेदारों से कराएं पौधारोपण

इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि विकास कार्यों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और श्रमदानियों ने प्रशासन से मांग की है कि पहाड़ी को फिर से हरा-भरा बनाने के प्रयास किए जाएं और इस घटना के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई हो।

आखिर कौन दोषी है

सोनाघाटी की पहाड़ी केवल एक भूभाग नहीं है, बल्कि यह उस सामूहिक प्रयास का प्रतीक है जिसने हमें जल संरक्षण और पर्यावरणीय महत्व का पाठ पढ़ाया। ऐसी घटनाएं समाज को यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और हमें पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को कैसे निभाना चाहिए।

 

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