UPSC SUCCESS STORY: मुश्किलों का डटकर सामना किया और सबसे कठिन परीक्षा में पाई कामयाबी

UPSC Results: कहते हैं मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इसे सच साबित करने वाले हमेशा दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन जाते हैं। मंगलवार को घोषित किए गए संघ लोक सेवा आयोग की यूपीएससी परीक्षा-2022 के नतीजे इसका गवाह हैं।
तमाम मुश्किलों के बाद भी अपनी राह को आसान बनाकर मंजिल पाने वाले कुछ ऐसे ही होनहारों से आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं।
जानिए आईएएस बनने वालों के संघर्ष उर कामयाबी की दास्तां …
दिव्यांगता को बनाया सफलता की सीढ़ी :

मैनपुरी के दिव्यांग सूरज तिवारी ने आईएएस की परीक्षा पहली बार में ही सफलता हासिल कर ली है। UPSC 2022 में 971 वीं रैंक हासिल करने वाली सूरज के दोनों पैर और एक हाथ नहीं है। एक हाथ में भी सिर्फ 3 उंगलियां हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि संकल्प की शक्ति अन्य सब शक्तियों से बड़ी होती है। सूरज की इस ‘सूरज’ जैसी उपलब्धि के पीछे बड़ा संघर्ष और अपने गोल को पाने की हर मुमकिन कोशिश है।
मैनपुरी के सूरज तिवारी ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो पहाड़ जैसी विपत्ति भी बौनी साबित हो जाती है। वर्ष 2017 को गाजियाबाद में ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर, दाएं हाथ की कोहनी और बाएं हाथ की दो उंगलियां गंवाने वाले सूरज के पिता दर्जी का काम करते हैं। आर्थिक तंगी और दिव्यांगता को सपनों के बीच में नहीं आने दिया और सफलता पाकर एक मिसाल बन गए हैं।
गरिमा ने 8 वर्ष की उम्र में खोया था पिता को :

यूपीएससी परीक्षा में बिहार की गरिमा लोहिया ने दूसरा स्थान हासिल करने में कामयाबी पाई है। गरिमा के सिर से 8 साल की उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। UPSC टॉपर लिस्ट में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली गरिमा का कठिन संघर्ष से गुजरना पड़ा है। गरिमा बिहार के बक्सर जिले की रहने वाली हैं। पिता नारायण प्रसाद लोहिया की मौत का गरिमा को बहुत सदमा लगा था। गरिमा दिल्ली विश्वविद्यालय की ही छात्रा रहीं है और कोरोना लॉकडाउन में उन्होंने जमकर परीक्षा की तैयारी की थी।
चार बार मिली असफलता के बाद मिली जीत:

मध्यप्रदेश के सतना जिले के अनूप कुमार बागरी की कहानी भी आपको प्रेरित करेगी। UPSC परीक्षा में 4 बार असफल होने के पांचवे प्रयास में अनूप को सफलता मिली है। सतना के एक छोटे से गांव खड़ौरा के रहने वाली अनूप कुमारी बागरी की UPSC परीक्षा में 879 रैंक हासिल हुई है। अनूप एक मध्यमवर्गीय परिवार से है और बहन रुचि संविदा शिक्षक के रूप में काम कर रही है।
साल 1995 में जन्मे अनूप बागरी ने भोपाल के LNCT कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक पास हैं। UPSC परीक्षा के दौरान भी अनूप को काफी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी और आज सफल होकर दूसरों के लिए आदर्श स्थापित कर दिया।
असफल होने पर भी राहुल ने नही हारी हिम्मत:

UPSC परीक्षा 2022 में 10वां स्थान हासिल करने वाले राहुल श्रीवास्तव के संघर्ष की कहानी भी प्रेरणादायक है। राहुल UPSC परीक्षा में 4 बार असफल हो चुके थे। चौथे प्रयास में उन्होंने देशभर में 10 वां रैंक हासिल की। मुजफ्फरपुर शहर के रहने वाले राहुल के पिता रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं।
अब राहुल का पूरा परिवार पटना के चितकोहरा में रहता है। राहुल ने पटना में रहकर ही परीक्षा की तैयारी की थी। तीन बार की असफलता किसी को भी तोड़ सकती है, लेकिन राहुल ने चौथे प्रयास में रणनीति बदली और असफलता से मन को विचलित नहीं होने दिया।
कोरोना में पिता को खोया, उनका सपना पूरा किया:

संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में मध्यप्रदेश के बैतूल के जय बारंगे ने सफलता हासिल कर जिले का गौरव बढ़ाया है। बैतूल के खंजनपुर क्षेत्र में निवास करने वाले जय ने परीक्षा में 587 वीं रैंक पाई है। वर्ष 2021 में पिता का कोरोना संक्रमण से खाने के बाद उनके सपने को पूरा करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया और दो बार सफलता न मिलने पर भी तीसरी बार परीक्षा में शामिल होकर सफलता पाई है।
यूपीएससी की परीक्षा में 587 वीं रैंक हासिल करने वाले जय को शिक्षक रहे पिता के स्वर्गवास के बाद अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जा रही थी। पिता के सपने को पूरा करने के लिए यूपीएससी की ही तैयारी की और अनुकम्पा नियुक्ति न लेते हुए लगातार लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास किया और अब पापा का सपना पूरा कर लिया।