theater arts: नाटय कला ऐसी विधा हैं जिसमें पात्र और दर्शक में सीधा संवाद होता हैं: टीना साहू

कौशल शिविर में छात्राओं ने वृक्षों कोे बचाने के लिए किया नाट्य का मंचन

बैतूल। ई.एफ.ए.शासकीय कन्या उ.मा.विद्यालय बैतूल गंज बैतूल में 5 अप्रैल 2024 से 64 कलाओं पर आधारित कौशल शिविर का आयोजन शासन के निर्देशानुसार प्राचार्य ललितलाल लिल्होरे के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है। शिविर के प्रभारी शिक्षक महेश गुंजेले ने बताया कि 5 अप्रैल से 26 अप्रैल तक नाट्य कला का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें विद्यालय कि 100 से अधिक छात्राओं ने भाग लिया। इस शिविर में 26 अप्रैल को छात्राओं ने वृक्षों को बचाने के लिए चिपको आन्दोलन पर नाट्य प्रस्तुती दी। प्रशिक्षण पर अपने विचार साझा करते हुए शिक्षक शिवप्रसाद मोहबे ने नाटक में शब्दों के सही उच्चारण पर छात्राओं को बताया कि शब्दों का सही उच्चारण करना हमें आना चाहिए जिससे हम अपनी बात को अच्छे से रख सकते हैं। उन्होने स-श-ष का छात्राओं को अभ्यास कराया तथा अच्छे अभ्यास के लिये बार बार पढ़ने और बोलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शब्दों के सही उच्चारण करने से आपके अंग्रेजी बोलने के साथ ही व्यक्तिव में निखार आता हैं। शिक्षक टीना साहू ने नाट्य के विभिन्न रूपों के बारे में छात्राओं को बताया। उन्होंने कहा कि नाट्य कला ऐसी विधा हैं जिसमें पात्र दर्शक के साथ सीधा संवाद करता है, इसमें कला का वह रूप है जिसमें दर्शकों के बीच एक कहानी का प्रस्तुतीकरण, संवादों एवं शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। नाटक के दौरान कहानी का सम्प्रेषण थियेटर के विभिन्न अवयवों, अभिनय, पहनावा, दृश्यों, प्रकाश संगीत, आवाज एवं संवाद के माध्यम से किया जाता है। शिक्षक चारू शुक्ला ने बताया कि नाटक में नवरस में से आठ का ही परिपाक होता है, वीर या श्रंगार रस में से कोई एक नाटक का प्रधान रस होता है। शिक्षक रेखा बारपेटे ने नाटक के तत्वों पर बताया कि नाटक में विभिन्न प्रकार के तत्व होते है जिसमें भूमिका, चरित्र और रिश्ते, स्थिति, आवाज, आंदोलन स्थान और समय, भाषा और पाठ, प्रतीक और रूपक, मनोदशा और वातावरण, दर्शक और नाटकीय तनाव मुख्य हैं। कौशल शिविर प्रभारी शिक्षक महेश गुंजेले ने बताया कि नाटक और कला रचनात्मक अभिव्यक्ति सक्षम करता है। शिक्षा में कला और नाटक के माध्यम से छात्राएं दुनिया के बारे में नए तरीके से सीख सकती है।

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