public awareness journey: जांगड़ा पहुंची कोरकू समाज जोड़ो जन जागरूकता यात्रा
रुढीप्रथा रीति-रिवाज, बच्चों की शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य पर ध्यान देने एवं कुरीति- नशा मुक्त समाज बनाने किया जागरूक
बैतूल। आदिवासी कोरकू उन्नतिशील समाज एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफेयर सोसायटी की जिला स्तरीय कोरकू समाज जोड़ो जन जागरूकता यात्रा गत दिवस घोड़ाडोंगरी विकास खण्ड के ग्राम जांगड़ा पहुंची। जहां सामाजिक पदाधिकारियों द्वारा समाज की रूढ़ीप्रथा रीति-रिवाज, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता पर ध्यान देने एवं मद्यपान सहित कुरीति मुक्त रीति-रिवाज बनाने लोगों को जागरूक किया। जांगड़ा में विकास खण्ड भैंसदेही के युवा संरक्षक दिलीप बेठे ने युवाओं को संदेश दिया कि युवा वर्ग अपने पारम्परिक रूढ़ीप्रथा रीति-रिवाज को जाने, समझे और अपनायें। समाज के युवक युवतियां को समाज की रूढ़ीप्रथा रीति-रिवाज से विवाह करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कोरकू समाज इस धरती का मूल बीज होने के कारण दुनिया की सबसे पुरानी आदिवासी जाति है। रीति-रिवाज का पालन करके ही कोरकू आदिवासी होने की मूल पहचान को बरकरार रख पाएंगे। युवा स्वयं संगठन से जुड़े और अपने साथी और अन्य सामाजिक बंधुओं को भी जोड़े। युवा समाज सेवा एवं समाज सुधार के क्षेत्र में जोश से काम करें। उन्होंने कहा कोरकू आदिवासी समाज आज भी बुनियादी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। कोरकू समाज के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना शिक्षित युवाओं की जिम्मेदारी है। युवा बदलाव के लिये मुख्य रूप से जिम्मेदार है और युवा है तो सबकुछ मुमकिन है को साकार करना होगा। कोरकू समाज के वरिष्ठ समाज सेवी, समाज सुधारक, रीति-रिवाज प्रचारक खुशराज भूरी-भाकलू ढिकू कोरकू आदिवासी ने अपने संबोधन में कहा कि समाज एवं समाज संगठन को मजबूत करने के लिये शिक्षित युवक-युवतियों को आगे आना होगा। शिक्षित युवक-युवतियों को समाज सुधार और समाज सेवा के लिये संगठन में जोड़कर संघ की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाना है। समाज के सर्वांगीण विकास में जितनी शिक्षा महत्वपूर्ण है उतनी ही शिक्षित युवक एवं युवतियां भी महत्वपूर्ण है।
–– शराब पीकर हुड़दंग करने वालों को सामाजिक चावड़ी करेगी दंडित —
जांगड़ा गांव में कोरकू आदिवासी सामाजिक चावड़ी द्वारा समाज में व्याप्त कुरीति जैसे-दसवां, तेरव्ही, मृत्यु भोज, मुण्डन, खर्चीली शादी डीजे, टेन्ट, घोड़ा, लाइटिंग, बेहिसाब बाराती, मद्यपान जैसे बीड़ी-सिगरेट, गुटका तम्बाकू, हुक्का-दारू आदि का बहिष्कार करने एवं बाराती में एक घर एक व्यक्ति, के हिसाब से अपनी स्वयं की व्यवस्था से पारम्परिक बैल गाड़ी से पहुंचने, पूर्वजों की रूढ़ीप्रथा रीति-रिवाज से शादी, मरणोपरान्त खोंटा पूजन आदि सम्पन्न कराने एवं गाँव के जागरूक सामाजिक बंधु गाँव को नशा मुक्त बनाने हेतु उपस्थित सामाजिक बंधुओं को संकल्प दिलाया गया। भविष्य में सार्वजनिक एवं सामाजिक आयोजन में शराब पीकर हुड़दंग करने वालों को सामाजिक चावड़ी के माध्यम से 1000 नगद दण्डित किया जाएगा अथवा अन्य दण्ड जो उसे स्वीकार हो। गरीब परिवारों के लिये कम लागत में विवाह सम्पन्न कराने के लिये सामूहिक विवाह को अपनाने एवं सामूहिक भोजन के लिये मेन्यू चावल, दाल, सब्जी, रोटी सर्वसम्मति से निर्धारित करने, नशे के होने वाली हानि से अवगत कराने पर जोर दिया।
–– पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जागरूक–
इसके साथ ही शिक्षा, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता के लिये जागरूक किया। जनजागरूकता यात्रा के दौरान पाण्डू कासा-दाजी की सुपुत्री के गुड़-पान में सम्मिलित होकर सामाजिक बंधुओं के साथ पंगत में बैठकर भोजन भी ग्रहण किया। इस अवसर पर दिलीप बेठे, अशोक बेठे, हरेलाल सिलू, लाबसिंह काजले,भीमराव काजले, विनोद कासा-दा, खुशराज भूरी-भाकलू आदिवासी, रोहित भुसुमकर, राजकुमार कासा-दा, सुक्कल कासा-दा, कमलेश, संतोष, श्यामराव बारस्कर, मनोज,रामकिशोर, बाजू सिलू, बिसनलाल बेठे, झनक लोबो, सामरसा सिलू, रूपलाल कासा-दा,पिन्टू कासा-दा, रोहित काजले, सदू दरसीमा, मिश्रीलाल कासा-दा, लक्ष्मण आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।