Pride was expressed on Operation Sindoor in the meeting: सृजन साहित्य कुंज ने पहलगाम हमले में दिवंगत हुए पर्यटकों को दी शब्दांजलि

बैठक में ऑपरेशन सिंदूर पर व्यक्त किया गर्व 

बैतूल। सृजन साहित्य कुंज की बैठक अध्यक्ष अरुणा पाटणकर द्वारा शब्दांजलि देने हेतु आयोजित की गई, जिसमें संयोजिका मीरा एंथोनी के साथ-साथ सभी सखियां उपस्थित रहीं। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था अपनी कविताओं द्वारा।पहलगाम में हुई आतंकी गतिविधियों में असमय काल के गाल में समाए हमारे 26 देशवासियों को शब्दांजलि अर्पित करना। साथ ही 2 मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की गई। सर्वप्रथम मीना चांदे ने शहीदों की याद में चंद पंक्तियां प्रेषित की, फिर गर्मी के मौसम पर अपनी कविता सुनाई। विद्या निर्गुढकर ने आतंक और आतंकवादी पर अपने आक्रोश से भरे विचार रखें। माधवी ठाकुर ने पहलगाम पर अपनी कविता मानवता प्रस्तुत की और कहा वह जगह स्वर्ग से श्मशान क्यों बन गई। मधुबाला देशमुख जी ने आतंक पर रोक लगाने पर विचार रखे। साथ ही गर्मी के फलों पर तुकबंदी करते हुए रसीली कविता सुनाई। मीरा एंथोनी ने पहलगाम त्रासदी पर सार्थक मर्मस्पर्शी कविता सुनाई, जिससे सब की आंखें नम हो गई। अरुणा पाटणकर ने काश! ऐसा होता… द्वारा हमारी गलतियों पर प्रकाश डाला कि काश पहले ही गलतियों को सुधार लिया गया होता तो आज आतंकियों के हौसले यों बुलंद न होते …हमारे स्वर्ग में ये हादसे न होते। साथ ही अपनी कविता गर्मियां किसी की भी गर्मी अच्छी नहीं होती चाहे वह पैसों की हो या दुश्मन देश की ..उन गर्मियों से निजात पाना हमें आता है …. ऑपरेशन सिंदूर जैसे कारनामों की सफलता पर सभी ने हर्ष जताया। आगे भी भारतवासियों की सुरक्षा के लिए सेना के जवान सीमा पर तैनात है उनकी रक्षा के लिए सभी ने कामना की उनके परिवार वालों के लिए मंगल कामना करते हुए सबने इस त्रासदी से जल्द से जल्द उबरने की कामना करते हुए सभा को विराम दिया।

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