अधिकारी-कर्मचारी बोले, मांगें पूरी करो, पुरानी पेंशन बहाल करो
46 सूत्रीय मांगों को लेकर अब मुखर हुए अधिकारी कर्मचारी
बैतूल। मध्यप्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी अपनी लंबे समय से लंबित 46 सूत्रीय मांगों को लेकर अब मुखर हो गए हैं। कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर बैतूल कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाए।
संयुक्त मोर्चा के महामंत्री कमलेश चौहान ने बताया कि वर्ष 2016 से बंद पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की मांग की गई है। इसके साथ ही कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ देने, गृह भाड़ा और वाहन भत्ते का पुनरीक्षण करने, नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने, सहायक ग्रेड-3 का ग्रेड पे बढ़ाने, महंगाई भत्ते और एरियर का भुगतान करने जैसी मांगें शामिल हैं। संयुक्त मोर्चा ने यह भी मांग की है कि कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए, रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए, सभी विभागों में सेवानिवृत्ति की आयु समान की जाए और कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाए।
इस ज्ञापन को सौंपने में विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे। इनमें अनिल कापसे अध्यक्ष, मध्यप्रदेश अधिकारी एवं कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिला बैतूल, रवि सरनेकर अध्यक्ष, पुरानी पेंशन बहाली संघ बैतूल, सचिन राय अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संघ बैतूल, नारायण सिंह नगदे अध्यक्ष, जिला शिक्षक महासंघ बैतूल, फिरोज अहमद अध्यक्ष, वन कर्मचारी संघ बैतूल, राजेन्द्र कटारे अध्यक्ष, आदर्श शिक्षक संघ बैतूल, कमलेश चौहान अध्यक्ष, लिपिक वर्ग कर्मचारी संघ बैतूल, मदन डढोरे अध्यक्ष, आम अध्यापक संघ बैतूल, शकुंतला शर्मा अध्यक्ष, कर्मचारी कांग्रेस बैतूल, मनीष उदासी अध्यक्ष, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ बैतूल, आकाश प्रधान अध्यक्ष, मध्यप्रदेश वन एवं वन्य प्राणी कर्मचारी संघ बैतूल, प्रकाश माकोड़े अध्यक्ष, न्यू बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ बैतूल और एस.आर. पडांग्रे अध्यक्ष, अपाक्स कर्मचारी संघ बैतूल शामिल हैं।
– सरकार से शीघ्र समाधान की मांग
संयुक्त मोर्चा ने अपने ज्ञापन में कहा है कि सरकार इन मांगों पर शीघ्र कदम उठाए, ताकि कर्मचारियों को हो रही समस्याओं का समाधान हो सके। मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो प्रदेशभर के कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि सरकार को कर्मचारियों के हित में निर्णय लेने चाहिए, जिससे सभी विभागों में बेहतर कार्यप्रणाली सुनिश्चित हो सके। कर्मचारियों की मांगें उनकी जरूरत और न्याय का हिस्सा हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।