MP News: नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष को तीन वर्ष के पहले नहीं हटा पाएंगे पार्षद, सरकार ने दी बड़ी राहत

MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय करते हुए नगर पालिका और नगर परिषद के निर्वाचित अध्यक्षों को बड़ी राहत दी है। अब इनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के पहले नहीं लाया जा सकेगा।
अविश्वास प्रस्ताव लाना आसान भी नहीं होगा। इसके लिए तीन चौथाई पार्षदों का अध्यक्ष पर विश्वास नहीं होना आवश्यक होगा। इनके हस्ताक्षर से ही प्रस्ताव प्रस्तुत होगा।
इस व्यवस्था के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 क में संशोधन करने और इसे अध्यादेश के माध्यम से लागू करने का निर्णय लिया है।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2020 में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का निर्वाचन सीधे जनता से न कराकर पार्षदों के माध्यम से कराया गया है। अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से इन्हें हटाया जा सकता है। इसके लिए अभी तक दो वर्ष की कार्यावधि पूर्ण होने और दो तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर से प्रस्ताव लाए जाने का प्रविधान था। अब चूंकि, यह कार्यावधि पूरी हो चुकी है।
सरकार को आशंका है कि कई नगरीय निकायों में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएंगे इसलिए अधिनियम में संशोधन कर यह प्रविधान कर दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तीन चौथाई पार्षदों के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर होना अनिवार्य होगा और यह तीन वर्ष की कार्यावधि पूर्ण होने पर ही प्रस्तुत किया जा सकेगा।
वरिष्ठ सचिव समिति ने तीन चौथाई पार्षदों के हस्ताक्षर के प्रस्ताव पर असहमति जताई थी पर कैबिनेट ने इसे अस्वीकार कर दिया। अब राज्यपाल की अनुमति से अधिनियम में संशोधन को अध्यादेश के माध्यम से लागू किया जाएगा