Credit competition between MP and MLA! :श्रेय लेने के पहले भाजपा के जनप्रतिनिधि यह तय करे कि डेम किसने स्वीकृत कराया, सांसद या विधायक ने : मोनू बडोनिया

8.34 करोड़ रुपये की मजरीघोघरा टैंक (नहर रहित) परियोजना पर हो रही श्रेय लेने की राजनीति


बैतूल। जिले में जल परियोजनाओं की स्वीकृति को लेकर श्रेय लेने की होड़ ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है।8.34 करोड़ रुपये की मजरीघोघरा टैंक (नहर रहित) परियोजना पर श्रेय लेने की राजनीति शुरू हो गई है।कांग्रेस नेता मोनू बडोनिया ने इस मामले में एक बयान जारी करते हुए कहा कि जनता को भ्रमित करने वाले इस प्रकरण ने यह साफ कर दिया है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि अपनी राजनीतिक साख बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। मंत्री के पत्र में स्पष्ट रूप से भाजपा के किसी भी जनप्रतिनिधि का उल्लेख नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया पर बैतूल सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके के समर्थक इस श्रेय को उन्हीं को दे रहे हैं। जिससे मतदाताओं के मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट द्वारा 9 जुलाई को जारी एक पत्र में कहीं भी सांसद या विधायक के प्रयासों का उल्लेख नहीं है।
— सांसद और विधायक में श्रेय लेने की होड़–
मोनू बडोनिया ने कहा, यह साफ दिखाता है कि कैसे जनप्रतिनिधि अपने क्रेडिट लेने की होड़ में जनता को गुमराह कर रहे हैं। मंत्री के पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री का नाम है, लेकिन स्थानीय सांसद और विधायकों का नहीं। फिर भी ये लोग अपने-अपने श्रेय लेने में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि बैतूल विधायक के मीडिया सेल ने एक बयान में बताया कि 11 परियोजनाओं में से 1 डैम की स्वीकृति बैतूल विधायक के प्रयास से हुई है।
— जल परियोजनाओं की सच्चाई–
मंत्री तुलसी सिलावट ने जो पत्र लिखा है उसमें स्पष्ट है कि विभाग के द्वारा स्वीकृति की जानकारी देते हुए केवल सांसद और विधायक को सूचना दी है। कहीं भी सांसद और विधायक की अनुशंसा या प्रयास का उल्लेख नहीं किया गया है। इस स्वीकृति के लिए जलसंसाधन विभाग के प्रभारी ईई विपिन वामनकर और पूर्व ईई अशोक डहेरिया ने प्रस्ताव बनाए और शासन को भेजे। शासन की प्राथमिकताओं के आधार पर यह स्वीकृति मिली है। इस स्थिति में बैतूल जिले के मतदाता भ्रमित हैं कि आखिरकार किसके प्रयासों से ये परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। मंत्री तुलसी सिलावट ने 9 जुलाई को सांसद दुर्गादास उइके को पत्र लिखकर जानकारी दी। 23 जुलाई को सांसद के समर्थकों द्वारा इसका क्रेडिट सांसद को दिया गया।
— समर्थकों का दावा और सच्चाई–
समर्थकों के इस क्रेडिट लेने की होड़ ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। मंत्री के पत्र में कहीं भी जनप्रतिनिधियों के प्रयासों का उल्लेख नहीं है। जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा बनाए गए प्रस्तावों को शासन ने प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति दी है, और इसमें किसी सांसद या विधायक के प्रयासों का जिक्र नहीं है। कांग्रेस नेता मोनू बडोनिया ने इसे जबरन श्रेय लेने की होड़ करार दिया है।

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