Betul mla news : बैतूल बाजार परिषद के अधिकारियों की विधायक प्रतिनिधि और पार्षदों ने उतारी लू

Legislators and councilors thrashed officials of Betul Bazar Parishad


बैतूल। सोमवार बैतूल बाजार नगर परिषद में चर्चा के दौरान परिषद के पार्षदों सहित विधायक प्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली , एक तरफ अधिकारी थे तो दूसरी तरफ समस्त पार्षद और विधायक निलय विनोद डागा के प्रतिनिधि ललित राठौर। जनहित में श्री डागा द्वारा दिये गए एजेंडे की नजरअंदाजी पर विधायक प्रतिनिधि ललित राठौर जम कर भड़के, इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों की जम कर क्लास ले ली गयी। हालात यहां तक पहुंच गए कि सवालों का जवाब देने के बजाय अधिकारियों के मुहं पर मानो ताला लग गया था। आखिर बिना किसी निर्णय पर पहुंचे चर्चा को विराम दे दिया गया। बैठक में विधायक प्रतिनिधि ललित राठौर ने अधिकारियों पर सीधा आरोप लगाया कि परिषद के पार्षदों को बिना जानकारी दिए अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। लगातार जनप्रतिनिधियों को गुमराह किया जा रहा है। खास बात ये है कि एक दो नहीं बल्कि सभी पार्षदों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। श्री राठौर ने चेतावनी भरे लहजे में अधिकारियों को दो टूक समझा दिया कि ये सब यहां नहीं चलेगा। पार्षदों और प्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना कोई भी विकास कार्य की रूप रेखा तय नहीं कि जाए आगे इस बात का अधिकारी ध्यान रखें।

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चर्चा के दौरान विधायक प्रतिनिधि ललित राठौर ने परिषद के अधिकारियों की बखिया उधेड़ कर रख दी। श्री राठौर का आरोप है कि परिषद के चुनाव सम्पन्न होते ही, विधायक निलय डागा ने जन हित को द्रष्टिगत रखते हुए बैतूल बाजार के निवासियों की समस्त समस्याओं के समाधान के लिए, लगभग 15 प्रस्ताव मुख्य नगर पालिका अधिकारी को प्रेषित किये थे जिनका निराकरण किया जाना था। लेकिन ये विडंबना है कि, जनहित से जुड़े इन प्रस्तावों को एजेंडे में शामिल करना तो दूर अधिकारियों ने ध्यान तक नहीं दिया, जबकि ये सभी प्रस्ताव बैतूल बाजार में रहने वाली जनता के हित को ध्यान में रखते हुए विधायक निलय डागा द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी बैतूल बाजार को प्रेषित किये गए थे। इन प्रस्तावों पर यदि अधिकारी अमल करते तो बैतूल बाजार में निवास करने वाले लोगों की समस्याओं का आज त्वरित निराकरण किया जा सकता था जिसका फायदा भी लोगों को मिलता दिखाई देता। अधिकारियों से श्री राठौर ने सीधा सवाल किया कि वे बताएं कि विधायक के जनहित के प्रस्तावों पर अमल क्यों नहीं किया गया। क्या ऐसा कृत्य करके सीएमओ सहित अन्य अधिकारियों ने यहां की जनता के साथ गद्दारी नहीं की है।

विधायक ने दिया था नजूल पट्टों का प्रस्ताव,दबाकर बैठे अधिकारी

पिछले लंबे समय से नगर में रहने वाले नागरिकों द्वारा नजूल पट्टे दिए जाने की मांग की जाती रही है। बैतूल बाजार निवासियों की इस प्रमुख समस्या को समझते हुए बैतूल विधायक निलय डागा ने खासतौर से इस विषय को अपने एजेंडे में शामिल किया था। ताकि क्षेत्र वासियों को इसका लाभ मिल सके। लेकिन अधिकारियों की हठ धर्मिता इस तरह देखने को मिल रही है कि, जनता से जुड़ा यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया जिसका सीधा नुकसान अभी तक यहां की जनता झेल रही है। इस मामले को लेकर अधिकारियों की पोल खोलते हुए श्री राठौर ने बताया कि नजूल पट्टों के सम्बंध में पूर्व में कलेक्टर द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी को पत्र लिखकर जानकारियां मांगी गई थी। लेकिन अधिकारी जनहित के इस मामले में कितने गम्भीर हैं इसका पता इसी बात से चलता है कि कलेक्टर के पत्र को भी नजरअंदाज कर रखा गया है। आज तक इन अधिकारियों ने इतनी भी जहमत नहीं उठाई कि कलेक्टर के पत्र को तवज्जो देते हुए मांगी गई जानकारी प्रेषित कर दी जाए ताकि इसका फायदा बैतूल बाजार की जनता को मिल सके, आज भी कलेक्टर के पत्र को अधिकारी दबाकर बैठे हुए हैं।

जिस प्रस्ताव पर आपत्ति वो प्रस्ताव कैसे हो गया पारित

परिषद के अधिकारी लोगों की समस्याओं के साथ किस तरह खिलवाड़ कर रहे हैं और जनप्रतिनिधियों की अवहेलना कैसे की जा रही है। इससे भी श्री राठौर ने पर्दा उठाया है। उनका कहना है कि, दसवें महीने की 7 तारीख को परिषद की बैठक आहूत की गई थी। इस बैठक के 5 नम्बर के प्रस्ताव में अमृत योजना को लेकर प्रस्ताव उल्लेखित किया गया था। बैठक के दौरान सभी पार्षदों ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी । लेकिन अधिकारियों की मनमानी मनमानी कर चुपचाप प्रोसिडिंग में इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। इसी तरह 8 करोड़ रुपये की नल जल योजना को परिषद के अधिकारियों ने ऐसा पलीता लगाया कि करोड़ों की योजना का फायदा आज नागरिकों को मिलता नहीं दिख रहा। प्रत्येक वार्डों में पानी की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। इससे साफ है कि नल जल योजना के ठेकेदार के साथ मिलकर अधिकारियों ने करोड़ों रुपये डकार लिए हैं। यदि योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन किया जाता तो आम जनता को तकलीफ क्यों भोगनी पड़ रही है। हद तो तब हो गयी जब कुछ ऐसे प्रस्ताव भी एजेंडे में शामिल कर लिए जा रहे हैं ,जिनकी स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है और इसके टेंडर भी कर दिए गए हैं, लेकिन इसकी जानकारी जन प्रतिनिधियों को देने से परहेज किया जा रहा है। कुल मिलाकर परिषद की चर्चा में जम कर हंगामा मचा। पार्षदों और विधायक प्रतिनिधि ने स्पस्ट कर दिया है कि, अब अधिकारियों की मनमानी बिल्कुल नहीं चलने दी जाएगी । कोई भी प्रस्ताव बिना पार्षदों की जानकारी के ना ही एजेंडे में रखा जाएगा और ना ही प्रतिनिधियों के संज्ञान में लाये बिना परिषद में कोई कार्य सम्पन्न कराया जाएगा। यहां तक कि अब परिषद में आने वाले समस्त आदेशों , समस्त पत्रों की एक एक प्रति भी आवश्यक रूप से सभी पार्षदों और विधायक जन प्रतिनिधि को देनी होगी।

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